गुरुवार, 5 अगस्त 2021

आम सेक्स समस्याएं तथा उन से कैसे बचें

 आम सेक्स समस्याएं तथा उन से कैसे बचें 


सेक्स मानव जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, यद्यपि इसके बारे में खुलकर कोई बात नहीं करना चाहता। अगर हम बात करते भी हैं तो पर्दे के पीछे खुसर पुसर करके ही।  समाज का भय अथवा शर्म सभी को सेक्स के बारे में खुलकर बोलने से रोकती है।  महिलाएं ही नहीं अपितु पुरुष भी सेक्स के बारे में खुलकर नहीं बोल पाते हैं।  

सेक्स के बारे में भिन्न-भिन्न भ्रांतियां भी समाज में फैली हुई है, क्योंकि अगर मन में सेक्स को लेकर कोई उलझन है तो उसका समाधान नहीं हो पाता है। 

भारतवर्ष में काफी पुरुष तथा महिलाएं सेक्स समस्याओं से पीड़ित हैं।  एक रिसर्च पेपर के अनुसार लगभग 10% लोग किसी न किसी तरह की समस्या के शिकार हैं।  यह नंबर बहुत चौंकाने वाला है।  क्योंकि सेक्स समस्याओं के लिए योग्य चिकित्सक नहीं मिल पाते हैं इसलिए लोग झोलाछाप चिकित्सकों के हत्थे चढ़े जाते हैं।  

आज मैं आपसे उन मुख्य  समस्याओं के बारे में चर्चा करूंगा जिससे ज्यादातर लोग कभी ना कभी परेशान होते हैं।  उचित परिणाम न निकलने पर मरीज मानसिक रोगों  के शिकार भी होते चले जाते हैं।  यह अवस्था उनके व्यवसायिक तथा सामाजिक संबंधों को प्रभावित करती है।  इंटरनेट के आने के साथ ही एक वृहद दुनिया हमारे सामने खुल गई है।  ज्यादातर व्यक्ति कोई भी समस्या होने पर तुरंत उसका हल गूगल पर ढूंढने लगते हैं।  लेकिन गंभीर बात यह है कि इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी प्रामाणिक है या नहीं यह जानना बहुत मुश्किल है।  इंटरनेट एक बड़ी टोकरी की तरह है और हमें यह नहीं मालूम कि उसके अंदर असली मोती है या नकली।  गलत तथा अधूरी जानकारी किसी भी समस्या को और अधिक जटिल कर देती है।  सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि वे स्वयं भी यह नहीं जान सकते हैं कि उन्होंने जो इंटरनेट पर पड़ा है वह अधूरा सत्य अथवा गलत है।  

शादी के पश्चात सेक्स के साथ साथ, शादी पूर्व सेक्स भी आम बात होती जा रही है।  सेक्स छुप कर किया जाए अथवा विवाह के बाद, जो बात सब को सबसे ज्यादा परेशान करती है वह है गर्भधारण का डर।  बिना उचित तैयारी के बच्चे हो जाने का डर सबको सताता है, खास तौर से यदि विवाह पूर्व गर्भ ठहर जाए तो।  सेक्स करते समय यदि गर्भ ठहरने का संशय रहेगा तो भी दोनों सेक्स का उचित आनंद नहीं ले पाएंगे।  यह भी उनके बीच विवाद तथा मानसिक असंतुलन का कारण बन जाता है।  परिवार नियोजन के सभी उपाय बहुत ही सहजता एवं सरलता से उपलब्ध हैं।  जरूरी है उनके बारे में जानकारी होने का।  यदि किसी उचित महिला चिकित्सक अथवा चिकित्सक से बिना झिझके  हम मिले तो सारी जानकारियां आसानी से जान सकते हैं।  अगर भविष्य में उनसे कोई समस्या उत्पन्न होती है तो चिकित्सक से मिलकर उसका निवारण भी कर सकते हैं।  झिझक छोड़कर चिकित्सक या परिवार नियोजन कर्मचारी से मिलना इसका सही हल है।  अगर चिकित्सक से मिलना संभव ना हो तो किसी प्रामाणिक पुस्तक  को पढ़कर भी हम इस समस्या का हल किसी हद तक ढूंढ सकते हैं।  

दोस्तों से बात करते हुए या गलत साहित्य पढ़कर लड़के कुछ संशय  अपने मन में बैठा लेते हैं।  इसमें प्रमुख है लिंग के आकार के बारे में।  ब्लू फिल्म कुछ इस तरह वीडियो बनाती हैं कि पुरुष का लिंग काफी बड़ा नजर आता है।  दोस्तों से बातचीत में भी प्रमुख चर्चा लिंग के आकार को लेकर होती है।  लड़कों में अपने लिंग को लेकर भय  उत्पन्न हो जाता है कि उनका लिंग कम आकार का है। हांलाकि  इस बात का कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है।  संभोग में लिंग की लंबाई का बहुत अधिक महत्व नहीं है।  लिंग का केवल ऊपरी भाग ही संतुष्टि के लिए आवश्यक होता है।  आकार को लेकर मन में अगर कोई भ्रांति है तो उचित परामर्श द्वारा उसको दूर किया जा सकता है।  दुख की बात यह है कि ज्यादातर पुरुष अंदर ही अंदर परेशान होते रहते हैं तथा खुलकर इस पर चर्चा नहीं करते हैं।  अगर दिमाग में कोई बात पैठकर जाए तो उसे सही करना टेढ़ी खीर हो जाता है।  पुरुषों को किसी योग्य  सेक्सोलॉजिस्ट से मिलकर अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढ लेना चाहिए, अन्यथा उनकी सेक्स लाइफ को आगे चलकर नुकसान पहुंच सकता है।  

इसी तरह लड़कियों अथवा  महिलाओं में सेक्स को लेकर अपनी कई उत्सुकतायें होती हैं।  उनको भी उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है।  झिझक तथा शर्म उन्हें  कुछ भी जानने से रोक देती है।  सबसे प्रमुख तथ्य है कि महिलाएं सोचती हैं कि सेक्स के समय जो कुछ करना है वह केवल पुरुष को ही करना है उन्हें केवल चुपचाप लेटी रहना है।  यह तथ्य भी आगे चलकर विवाद का एक प्रमुख बिंदु बन जाता है।  सेक्स का आनंद दोनों लोगों के लिए है।  पुरुष के साथ-साथ महिला को भी अपनी भावनाएं जताने का पूरा हक है।  यदि महिला पुरुष का साथ देगी तो सेक्स का आनंद बढ़ सकता है तथा यह अधिक संतुष्टि कारक होगा।  झिझक छोड़कर बिना किसी पूर्वाग्रह से उन्हें सेक्स का आनंद लेना चाहिए।  

सेक्स पाप नहीं है।  बचपन से ही हमारे समाज में, परिवार में इसको अच्छी तरह से नहीं देखा जाता है।  कोई भी इसके संबंध में चर्चा भी नहीं करना चाहता।  वास्तव में सेक्स भी शरीर की अन्य जरूरतों की तरह ही है।  सेक्स के बारे में सोचते समय या सेक्स करते समय किसी पापबोध  से ग्रसित नहीं रहना चाहिए।  शरीर की अन्य क्रियाओं के साथ-साथ यह भी एक आवश्यकता है।  सेक्स के बारे में प्रमुख परेशानी होती है जानकारी के अभाव से।  सरकार ने अब कुछ स्कूलों में सेक्स एजुकेशन प्रारंभ भी करवाई है।  इसका समाज में सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।  

पुरुषों में अपने आप को लेकर एक संशय  रहता है कि क्या वे अपनी स्त्री को पूर्णतया संतुष्ट कर पाएंगे।  क्या वे उचित समय तक सेक्स कर सकते हैं।  सेक्स करने से पहले इस तरह के विचार उन्हें  प्रभावित कर सकते हैं।  इन विचारों को सकारात्मक लेने की जगह उल्टा सीधा सोचने लगते हैं तथा  निराशावादी विचारों से घिर  जाते हैं।  किसी से सही मार्गदर्शन ना मिलने के कारण समस्या और अधिक गंभीर होती जाती है।  यहां तक कि वह सेक्स करने से भी दूर भागने लगते हैं।  सेक्स के लिए एक सकारात्मक रखना अति आवश्यक है।  अपने प्रदर्शन तथा ऊर्जा को लेकर संशय ना करें।  अगर आप नकारात्मक विचारों से ही घिरे  रहेंगे तो इससे  बाहर निकलना अत्यंत मुश्किल है।  समय रहते एक योग्य  सेक्सोलॉजिस्ट आपकी सहायता कर सकता है तथा इस स्तिथि से आपको उबार सकता है।  

अपनी जीवन शैली को स्वस्थ रखें।  याद रखें कि एक स्वस्थ शरीर स्वस्थ सेक्स के लिए आवश्यक है।  अपने वजन को बढ़ने ना दें।  अगर वजन बढ़ गया है इसको खानपान तथा कसरत से कम कर सकते हैं।  प्रतिदिन 5 किलोमीटर टहलें। यह आपके शरीर में नवीन ऊर्जा भर देगा।  अपने ब्लड प्रेशर तथा  डायबिटीज को सही रखें तथा उसकी दवाइयां नियमित रूप से लेते रहें।  धूम्रपान, शराब के सेवन से दूर रहें।  जहां तक संभव हो फास्ट फूड का सेवन ना करें।  मैदा और चीनी का जहाँ तक हो  सेवन ना करें।  गुड़ का प्रयोग अधिक उचित है।  योग भी शरीर को ऊर्जावान बनाने में सहायता करता है।  

सेक्स को एक कार्य की तरह ना समझें।  स्वस्थ शरीर तथा मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में यह मददगार है।  सेक्स के समय कई हार्मोन शरीर में निकलते हैं जो हमारे लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं।  

कभी-कभी संभोग करते समय दर्द का अनुभव होता है।  इससे बचने के लिए लोग संभोग ही नहीं करते हैं तथा मानसिक अवसाद के शिकार हो जाते हैं।  यह भी अन्य लोगों की तरह एक रोग ही है।  किसी शल्य चिकित्सक, सेक्सोलॉजिस्ट तथा स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा इसका तुरंत निदान संभव है।  किसी भी बात को अपने अंदर दबाकर ना रखें।  हर समस्या का उचित समाधान संभव है।  जरूरत है सही समय पर सही सलाह को लेने का।  

सेक्स करने से पहले अपने साथी के साथ समय बिताना तथा बातचीत करना भी अत्यंत आवश्यक है।  सेक्स के समय एक दूसरे को समझने के लिए थोड़ा समय देना चाहिए,  केवल निपटाने के लिए सेक्स ना करें।  

सेक्स भी शरीर की एक आवश्यकता है, जानकारियों का अभाव हमें कुछ परेशानी में डाल सकता है।  यदि कोई कमी है भी तो उसका उचित इलाज संभव है।  

सकारात्मक सोच हमारे शरीर को सदैव ऊर्जावान रखती है। 

 सदैव प्रसन्न रहें तथा दूसरों को भी प्रसन्न रखें,  यही एक सफल जीवन का मूल मंत्र है।  


डॉ पुनीत अग्रवाल 

सेक्सोलॉजिस्ट एवं सर्जन 

डायरेक्टर सेक्स क्लीनिक 

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