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शुक्रवार, 5 मई 2023

क्या पित्ताशय की थैली का ऑपरेशन बुजुर्गों के लिए सुरक्षित है ?

 क्या पित्ताशय की थैली  का ऑपरेशन बुजुर्गों के लिए सुरक्षित  है ?



किसी भी ऑपरेशन में कुछ खतरे होते हैं।  उम्र बढ़ने के साथ  साथ ये खतरे  बढ़ते चले जाते हैं। हमें  उम्र बढ़ने पर ऑपरेशन में क्या सावधानियां रखनी चाहिए, आज इसी बात पर मैं आपसे चर्चा करूँगा। 

हम सब घर में माता पिता तथा अन्य बुजुर्ग जन के साथ रहते हैं। उन्हें कभी न कभी ऑपरेशन की जरुरत पड़ जाती है। ऑपरेशन हम तभी करा पाते हैं जबकि हमको मालूम हो की ऑपरेशन सही रहेगा।  ऑपरेशन से उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी।  ऑपरेशन के बाद वो एक सामान्य जिंदगी बिता सकेंगे। 

हरेक ऑपरेशन के कुछ खतरे होते हैं। युवा अवस्था में भी यह खतरे होते हैं और उनको स्वीकार करके ही हम ऑपरेशन की स्वीकर्ति सर्जन को देते हैं। उम्र बढ़ने के साथ साथ ये खतरे बढ़ते चले जाते हैं। बुजुर्ग मरीजों में ऑपरेशन के बाद कुछ परेशानियां ज्यादा होती हैं, जैसे ऑपरेशन के बाद देर तक अचेत रहना, फेफड़ों में पानी भर जाना, पेशाब में इन्फेक्शन, दवाइयों के साइड इफेक्ट्स, प्रेशर अल्सर्स /घाव, गिरना, घर पर वापसी में देर, आदि आदि। 

उम्र बढ़ने के साथ साथ डाइबिटीस, ब्लड प्रेशर, अस्थमा, थाइरोइड की बिमारियों का प्रभाव बढ़ जाता है।  उनका भली भांति कंट्रोल जरुरी होता है। दिल की जाँच जरुरी होती है। बहुत सारे मरीजों के स्टेंट होता है तथा वो खून पतला करने की दवा खातें हैं।  इस दवा का ऑपरेशन से पहले बंद करना जरुरी होता है। 

ऑपरेशन कराने से पहले ये सुनिश्चित कर लें कि ऑपरेशन जरुरी है। ऑपरेशन न करवाने से ज्यादा परेशानी होगी या ऑपरेशन करवाने के बाद। 
जो जो जरुरी जाँच बताई जाये उसे अवशय करवाएं। जैसे खून की जाँच, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, इको आदि। 

 अपने सर्जन तथा बेहोशी के डॉक्टर का सही चुनाव करें। एक अच्छी  अनुभवी टीम का चुनाव करें। अस्पताल में आईसीयू  जरूर होनी चाहिए तथा २४ घंटे ड्यूटी पर डॉक्टर उपलब्ध रहने चाहिए। 

जहाँ तक गॉलब्लेडर के ऑपरेशन का सवाल है तो हमें दूरबीन वाले ऑपरेशन का चुनाव करना चाहिए। कभी कभी यदि अंदर गॉलब्लेडर बहुत ज्यादा चिपका हुआ है तो सर्जन  को चीरे वाला ऑपरेशन करना होता है। चीरे वाले ऑपरेशन में घाव भरने में समय लगता है तथा रिकवरी में भी समय लगता है। लेकिन यदि जरुरी है तो हमें कराना ही चाहिए। 

ऑपरेशन का नाम सुन कर ही हमको डर लगता है। आजकल अच्छी दवाइयों, बेहतरीन देखभाल तथा अनुभवी टीम का चयन कर हम अपने बुजर्गों की सेफ सर्जरी करा सकते हैं। 












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सोमवार, 25 जुलाई 2022

गॉलब्लैडर के ऑपरेशन के पश्चात मरीज का खानपान

गॉलब्लैडर के ऑपरेशन के पश्चात मरीज का खानपान 

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गॉलब्लैडर का ऑपरेशन आजकल सबसे ज्यादा किए जाने वाले ऑपरेशनों में से एक है।  अनियमित जीवनशैली, भागदौड़ से भरी जिंदगी, तनाव, समुचित व्यायाम का अभाव, खानपान की दोषपूर्ण आदतें  इसके प्रमुख कारण हैं। 

मुख्यता  गॉलब्लैडर में कोलेस्ट्रॉल स्टोन  ही बनती हैं। 

पित्त की थैली में लीवर से बनने वाला पित्त  एकत्रित होता रहता है।  जब वसा युक्त खाना (चिकनाई, घी, तेल, मक्खन) पेट से  छोटी आंत में  पहुंचता है तो कोलीसिस्टोकाइनिन  नाम का हार्मोन निकलता है, जो रक्त द्वारा गॉलब्लैडर तक पहुंचकर इसका संकुचन करता है।  संकुचन के पश्चात पित्त  छोटी आत में पहुंचता है तथा चिकनाई को पचाने में सहायता करता है। 

गोल ब्लैडर के ऑपरेशन में स्टोन के साथ-साथ पित्त की थैली भी पूरी निकाल दी जाती है। 

ऑपरेशन के पश्चात पित्त एकत्रित नहीं हो पाता है तथा धीरे-धीरे छोटी आंत  में पहुंचता रहता है।  ऑपरेशन के तुरंत बाद शरीर को खाना पचाने में कुछ परेशानियां आती हैं  लेकिन शीघ्र ही शरीर इस बदलाव को अपनाता जाता है। 

ज्यादातर रोगी इस बात को उत्सुकता से जानना चाहते हैं कि ऑपरेशन के पश्चात उन्हें अपने खानपान में किस प्रकार के परिवर्तन करने होंगे। वह क्या खा सकते हैं तथा परहेज क्या करने पड़ेंगे। 

ऑपरेशन के तुरंत  पश्चात डॉक्टर के अनुसार हम तरल पेय पदार्थ मरीज को देना प्रारंभ कर सकते हैं जैसे पानी, नारियल का पानी आदि।  यदि यह पदार्थ पच  जाए तो हम सूप, जूस आदि भी दे सकते हैं।  प्रारंभ में इनकी मात्रा कम रखकर हम धीरे-धीरे इसे बढ़ा सकते हैं। इन पेय  पदार्थों में चीनी या मिर्च मसालों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए। 

अगर पेय पदार्थ पच जाए तो हम धीरे-धीरे ठोस एवं नरम आहार प्रारंभ कर सकते हैं।  प्रारंभ में खाने की मात्रा थोड़ी होनी चाहिए।  हम थोड़ी थोड़ी मात्रा में कई बार मरीज को खाने को दे सकते हैं।  घर पर पहुंच कर भी हमें मरीज को पेय  एवं नरम  पदार्थ थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कई बार देने चाहिए। 

शुरुआत में हमारे खाने  में रेशे  की मात्रा कम होनी चाहिए।  इसे हम धीरे-धीरे करके बढ़ा सकते हैं।  शुरुआत से ही ज्यादा रेशा युक्त  खाना देने से शरीर इसे सही प्रकार से पचा नहीं सकता है।  एकदम से ज्यादा रेशा  देने से मरीज का पेट फूल सकता है, उसे गैस महसूस हो सकती है, सिर दर्द तथा  पेट में दर्द भी हो सकता है। 

ऑपरेशन के पश्चात खाने में वसा एवं चिकनाई युक्त खानों की मात्रा कम से कम होनी चाहिए।  चिकनाई को हम धीरे-धीरे समय के साथ बढ़ा सकते हैं।  ज्यादा चिकनाई  युक्त भोजन करने से मरीज पतले दस्तों की शिकायत कर सकता है। 

अधिक चिकनाई युक्त खानों में मुख्यतः निम्न प्रकार के खाने आते हैं-

*तले भुने हुए खाद्य पदार्थ जैसे - समोसे, कचौड़ी, पूरी, पराठे, नमकीन, चाट, पेटीज आदि

*डिब्बाबंद रेडीमेड खाद्य पदार्थ

*बेकरी उत्पादन एवं प्रोसैस्ड फूड

*डेसर्ट्स - जैसे केक्स, कुकीज, पेस्ट्रीज आदि

 *फास्ट फूड - पिज्जा, चीज, दोसा, छोले भटूरे, पाव भाजी, आलू मटर की चाट आदि

  *डिब्बाबंद मास के भोज्य  पदार्थ

*मटन आदि नॉनवेज भोज्य  पदार्थों में भी चिकनाई  की मात्रा ज्यादा रहती है। 

*डेयरी उत्पादनों  में भी  चिकनाई  बहुत होती है अतः पूरा दूध लेने की जगह मलाई निकाल कर स्किम मिल्क  लेना चाहिए

*इसके अतिरिक्त मक्खन, चीज़, क्रीम, आइसक्रीम आदि का भी परहेज करना चाहिए

*हमें अधिक मिर्च मसाले युक्त खाने से बचना चाहिए

*जहां तक हो सके चीनी का सेवन भी कम से कम करें

*हमें कैफीन युक्त पदार्थ जैसे चाय, कॉफी, चॉकलेट, एनर्जी ड्रिंक से भी बचना चाहिए। 

*कार्बोनेटेड ड्रिंक्स जैसे कोल्ड ड्रिंक्स का परहेज भी बहुत जरूरी है। 

*अल्कोहल, बियर, वाइन आदि के सेवन से भी परहेज करना चाहिए। 


अब मैं आपको उन भोज्य पदार्थों के बारे में बताऊंगा जो ऑपरेशन के पश्चात रोगी को दे सकते हैं -

१ कम वसा युक्त भोज्य पदार्थ

२ नॉनवेज में चिकन तथा फिश जिसको कम से कम ही तेल/घी  में पकाया गया हो। 

३ लेग्यूम्स- मटर, मूंगफली, सोयाबीन, राज़मा, काले सेम, चिक पी, सभी प्रकार की दालें  आदि 

४ ज्यादा रेशा  युक्त भोजन जैसे- साबुत अनाज, गेहूं चोकर सहित, ब्राउन राइस, ओट्स,  ज्वार आदि

५ मौसम के अनुसार उपलब्ध सलाद, ताजी सब्जियां एवं फल

६ नट्स  जैसे बादाम अखरोट आदि लेकिन कम मात्रा में

७ चिकनाई  निकाल कर बनाए गए डेरी  पदार्थ जैसे दूध 

८ अंडे का सफ़ेद भाग, प्रत्येक दिन एक 

ऑपरेशन के पश्चात जैसे जैसे संभव हो सके हमें चलना फिरना प्रारंभ कर देना चाहिए।  हमारे चलने से हमारी आंतें  भी अच्छी तरह चलती फिरती रहती है। 

पानी तथा अन्य तरल पेय पदार्थों की मात्रा भी हमें धीरे धीरे बढ़ा देना चाहिए।  हमें 24 घंटे में कम से कम 3 से 4 लीटर तरल पदार्थ लेने ही चाहिए। 

हर एक शरीर की अपनी अलग बनावट होती है।  कुछ चीजें किसी एक व्यक्ति को सूट करती है तथा किसी को नहीं करती है।  अपनी अथवा  मरीज को  जो भोज्य पदार्थ अनुकूल रहे वही लेने चाहिए। 

अगर आप मुझसे ऑपरेशन अथवा ऑपरेशन के बाद  डाइट के संबंध में कुछ पूछना चाहे तो मुझे व्हाट्सएप कर सकते हैं मेरा व्हाट्सएप नंबर है 37144287

डॉ पुनीत अग्रवाल लेप्रोस्कोपिक एवं लेज़र सर्जन

 www.drpuneetagrawal.com


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