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सोमवार, 10 जुलाई 2023

Why & How to check Breast Cancer at Home ? Breast Cancer Awareness, Symptoms, Lump, Test, Diagnosis in Hindi

 ब्रैस्ट कैंसर - स्तन कैंसर 

आज कैंसर एक महामारी की तरह फैल रहा है। सभी उम्र के पुरुष स्त्रियां बच्चे  इसकी चपेट में आ रहे हैं। भारतीय स्त्रियां  सबसे ज्यादा ब्रैस्ट कैंसर की चपेट में आती हैं। महिलाओं में होने वाले सभी कैंसरों में एक चौथाई सिर्फ ब्रैस्ट के ही होते हैं। 



लगभग तीस साल पहले ब्रैस्ट कैंसर चौथे नंबर पर था जो आज पहले नंबर पर आ गया है। हमारी बदलती जीवन शैली, तनाव तथा खाने पीने में परिवर्तन इस कैंसर के बढ़ने के प्रमुख कारण हैं। 

यदि इस कैंसर का पता हमको प्रारम्भ में चल जाए तो इसका सफल इलाज संभव है। जैसे जैसे समय निकलता है, कैंसर बहुत जल्दी से शरीर में फैलता चला जाता है। कैंसर बढ़ने पर इसका पक्का इलाज नहीं हो पता है। शुरुआत में यदि हम कैंसर को पहचान कर उसका इलाज करलें तो परिणाम बहुत अच्छे रहते हैं। 

कैंसर आंकड़ों की नजर से 

ये कैंसर कितना भयानक है इसको में आपको इन आंकड़ों से समझाता हूँ -

हर अठाईसवीं भारतीय महिला  ब्रैस्ट कैंसर की चपेट में आनी ही है। हर चार मिनट में एक भारतीय महिला को कैंसर होने का पता चलता है तथा हर तेहरवें मिनट में एक महिला की ब्रैस्ट कैंसर से मृत्यु हो जाती है। 

अगर हम कैंसर को शुरुआत में ही जान जाएं तो इस बीमारी के परिणाम बेहद अच्छे रहते हैं। 

किन महिलाओं को ब्रैस्ट कैंसर होने की ज्यादा संभावनाएं होती हैं ?

जिन महिलाओं का वजन ज्यादा है, 

जिनके घर में किसी महिला को ब्रैस्ट कैंसर हो चुका हो, 

जिन लड़कियों को बारह साल से पहले महीना प्रारम्भ हो गया हो, 

या वो महिलाएं जिनमे रजोनिवृति 55 साल के बाद हुई हो, 

जो महिलाएं तीस साल के बाद गर्भवती हुई हों - इन महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर होने की सम्भावना ज्यादा होती है। 

ब्रैस्ट कैंसर होने के अन्य प्रमुख  जोखिम कारक 

1 अधिक उम्र 

2 परिवार में किसी अन्य स्त्री को ब्रैस्ट कैंसर होना 

3 महीने का जल्दी शुरू होना या देर तक आते रहना 

4 कड़ा ब्रैस्ट Dense breast tissue 

5 अन्य कैंसर का होना 

6 एक्सरे का एक्सपोसर 

7 गर्भनिरोधक गोली

8 हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी

9 ख़राब जीवन शैली - शराब, धूम्रपान का सेवन, शारीरिक निष्क्रियता, मोटापा और कम समय के लिए स्तनपान, रात की शिफ्ट में कार्य करना, एक ही जगह पर छै घंटे अधिक बैठे रहना, अधिक वसा युक्त नॉनवेज खाना 


कैंसर होने पर सबसे पहले क्या मालूम पड़ता है ?

ब्रैस्ट कैंसर की शुरुआत एक छोटी गांठ से होती है। प्रारम्भ में इसमें दर्द नहीं होता है। ये ब्रैस्ट के अंदर होती है या आस पास में भी हो सकती है। 

ब्रैस्ट देखने पर तथा छूने पर बदली हुई सी लगती है। उसका आकार बढ़ जाता है या टेड़ा मेड़ा सा लगता है। 

ब्रैस्ट के ऊपर की खाल मोटी हो जाती है, उसमें सूजन आती है, घाव बन जाते हैं या संतरे के छिलके से दिखती है। 

निपिल में बदलाव आने लगते हैं। उसमें से कुछ तरल भी निकल सकता है। 

ब्रैस्ट या बगल में दर्द बना रह सकता है। बगल में गांठों का बनना भी कैंसर का एक प्रमुख लक्षण है। 


ब्रैस्ट कैंसर से कैसे बचें -

हालाँकि ब्रैस्ट कैंसर से पूरी तरह बच पाना संभव नहीं है, लेकिन कुछ परिवर्तन कर हम इसकी संभावनाओं को कम कर सकते हैं। 

1 अपने वजन को कंट्रोल में रखना 

2 सुस्त जीवन छोड़ कर सक्रिय रहना, हफ्ते में 150 -200 मिनट व्यायाम 

3 अल्कोहल का कम सेवन (केवल एक ड्रिंक प्रतिदिन )

4 स्वस्थ रेशे से भरपूर शाकाहारी खाना जिसमें पर्याप्त फल तथा सब्जियां हों, चीनी, रेड मीट, प्रोसेस्ड फ़ूड, पैकेज्ड फूड्स बिलकुल नहीं 

5 नोंनहार्मोनल  परिवार नियोजन के तरीके का प्रयोग 

6 मानसिक तनाव से दूर रहें 

7 कम से कम एक साल तक बच्चे को दूध पिलाएं 

8 धूम्रपान से दूर रहें 

9 श्रृंगार प्रसाधन सामिग्री का सोच समझ कर चुनाव, डीओडरंट एन्टीपरस्पिरैंट का प्रयोग न करें, सनस्क्रीन लोशन पैराबेन्स सहित का प्रयोग न करें,

10 खाना पकाने के लिए मिटटी के बर्तन का प्रयोग करें, प्लास्टिक का प्रयोग न करें, नॉनस्टिक बर्तनों को प्रयोग में न लाएं 

11 पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहे 


ब्रैस्ट की महिला द्वारा स्वयं जाँच करना 

ब्रैस्ट कैंसर की प्रारम्भिक अवस्था में पता लगना बहुत आवश्यक है।  जल्दी पता चलने पर इसका पक्का इलाज  संभव है। महिलाओं द्वारा छिपाने के कारण जब तक कैंसर का पता चलता है वह लाइलाज हो जाता है। प्रत्येक महिला तथा लड़की को अपने ब्रैस्ट की स्वयं जाँच करने की ट्रेनिंग देना बहुत ही जरुरी है। 

ब्रैस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन को हम अब ब्रैस्ट अवेयर Breast Aware कहते हैं। देश की, घर की प्रत्येक महिला सदस्य को इसकी पूरी जानकारी देना हमारा फर्ज है। 

दर्द न होने की वजह से महिला द्वारा अपने डॉक्टर तक पहुंचने पर बहुत समय निकल जाता है, जिससे कैंसर बहुत ज्यादा फैल जाता है। 

महिला द्वारा स्वयं के स्तनों की जांच बीस वर्ष के बाद प्रारम्भ कर देनी चाहिए। ये जांच महीना शुरू होने के तीन से पांच दिन बाद करनी चाहिए। 

चालीस वर्ष की आयु के बाद डॉक्टर द्वारा  स्तन की जाँच तथा मेम्मोग्राम हर साल करवाना चाहिए। जिन महिलाओं के घर में किसी को ब्रैस्ट या ओवेरियन कैंसर हो चूका हो उन्हें हर 6 - 12 महीने पर MRI करवाना चाहिए। 

ब्रैस्ट कैंसर एक भयावह बीमारी है जो मरीज के साथ पूरे  परिवार को प्रभावित करती है। कैंसर की जल्दी पहचान तथा उचित इलाज ही इसका एकमात्र समाधान है। 


डॉ पुनीत अग्रवाल MS FISCP 

प्रोफेसर मेडिकल कॉलेज 

58 /299 बी-1 आदर्श नगर 

खेरिया क्रासिंग 

आगरा 282001 

उत्तर प्रदेश 




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