रविवार, 23 जुलाई 2023
Sex styles that cause HIV in Hindi, Is casual sex a risk for HIV, Sex without condom HIV risk, How HIV spreads, Can you get HIV from saliva
गुरुवार, 20 जुलाई 2023
एचआईवी से कैसे बचें 14 Steps for Prevention of HIV-AIDS How to stop transmission of HIV AIDS
एचआईवी से कैसे बचें, 14 Effective Steps for Prevention of HIV-AIDS,
How to stop transmission of HIV AIDS
बुधवार, 12 जुलाई 2023
Oral sex reduces breast cancer क्या ओरल सेक्स करने से महिला में ब्रैस्ट कैंसर की संभावनाएं कम हो जाती हैं ?
Oral sex reduces breast cancer
क्या ओरल सेक्स करने से महिला में ब्रैस्ट कैंसर की संभावनाएं कम हो जाती हैं ?
महिलाओं पर किये गए एक सर्वे से पता चला है कि जो महिलाएं हफ्ते में कम से कम दो बार ओरल सेक्स करती हैं तथा वीर्य को निगल जाती हैं उनमे स्तन कैंसर होने के चान्सेस कम हो जाते हैं।
अगर आप कंडोम या अन्य बैरियर परिवार नियोजन का प्रयोग नहीं कर रहे हैं तो यह सुनिश्चित कर लें कि आप दोनों को कोई यौन संक्रमण तो नहीं है तथा आप पार्टनर सहित अनेक साथियों के साथ सेक्स नहीं कर रहे हैं। पूरी तरह फायदे के लिए हफ्ते में दो बार ओरल सेक्स करें।
ओरल सेक्स के अन्य फायदे -
वीर्य में मेलाटोनिन नाम का केमिकल होता है। जिसके कारण महिला को नींद अच्छी आती है।
वीर्य में स्परमिडीन नाम का केमिकल भी होता है जो एंटी एजिंग क्रीम से बेहतर कार्य करता है
वीर्य में केमिकल्स पाए जाते हैं जो आपकी स्मरणशक्ति को बढ़ाने में भी मदद करते हैं।
प्रोफेसर डॉ पुनीत अग्रवाल
मेडिकल कॉलेज आगरा
only whatsApp 9837144287
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सोमवार, 10 जुलाई 2023
Why & How to check Breast Cancer at Home ? Breast Cancer Awareness, Symptoms, Lump, Test, Diagnosis in Hindi
ब्रैस्ट कैंसर - स्तन कैंसर
आज कैंसर एक महामारी की तरह फैल रहा है। सभी उम्र के पुरुष स्त्रियां बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं। भारतीय स्त्रियां सबसे ज्यादा ब्रैस्ट कैंसर की चपेट में आती हैं। महिलाओं में होने वाले सभी कैंसरों में एक चौथाई सिर्फ ब्रैस्ट के ही होते हैं।
लगभग तीस साल पहले ब्रैस्ट कैंसर चौथे नंबर पर था जो आज पहले नंबर पर आ गया है। हमारी बदलती जीवन शैली, तनाव तथा खाने पीने में परिवर्तन इस कैंसर के बढ़ने के प्रमुख कारण हैं।
यदि इस कैंसर का पता हमको प्रारम्भ में चल जाए तो इसका सफल इलाज संभव है। जैसे जैसे समय निकलता है, कैंसर बहुत जल्दी से शरीर में फैलता चला जाता है। कैंसर बढ़ने पर इसका पक्का इलाज नहीं हो पता है। शुरुआत में यदि हम कैंसर को पहचान कर उसका इलाज करलें तो परिणाम बहुत अच्छे रहते हैं।
कैंसर आंकड़ों की नजर से
ये कैंसर कितना भयानक है इसको में आपको इन आंकड़ों से समझाता हूँ -
हर अठाईसवीं भारतीय महिला ब्रैस्ट कैंसर की चपेट में आनी ही है। हर चार मिनट में एक भारतीय महिला को कैंसर होने का पता चलता है तथा हर तेहरवें मिनट में एक महिला की ब्रैस्ट कैंसर से मृत्यु हो जाती है।
अगर हम कैंसर को शुरुआत में ही जान जाएं तो इस बीमारी के परिणाम बेहद अच्छे रहते हैं।
किन महिलाओं को ब्रैस्ट कैंसर होने की ज्यादा संभावनाएं होती हैं ?
जिन महिलाओं का वजन ज्यादा है,
जिनके घर में किसी महिला को ब्रैस्ट कैंसर हो चुका हो,
जिन लड़कियों को बारह साल से पहले महीना प्रारम्भ हो गया हो,
या वो महिलाएं जिनमे रजोनिवृति 55 साल के बाद हुई हो,
जो महिलाएं तीस साल के बाद गर्भवती हुई हों - इन महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर होने की सम्भावना ज्यादा होती है।
ब्रैस्ट कैंसर होने के अन्य प्रमुख जोखिम कारक
1 अधिक उम्र
2 परिवार में किसी अन्य स्त्री को ब्रैस्ट कैंसर होना
3 महीने का जल्दी शुरू होना या देर तक आते रहना
4 कड़ा ब्रैस्ट Dense breast tissue
5 अन्य कैंसर का होना
6 एक्सरे का एक्सपोसर
7 गर्भनिरोधक गोली
8 हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
9 ख़राब जीवन शैली - शराब, धूम्रपान का सेवन, शारीरिक निष्क्रियता, मोटापा और कम समय के लिए स्तनपान, रात की शिफ्ट में कार्य करना, एक ही जगह पर छै घंटे अधिक बैठे रहना, अधिक वसा युक्त नॉनवेज खाना
कैंसर होने पर सबसे पहले क्या मालूम पड़ता है ?
ब्रैस्ट कैंसर की शुरुआत एक छोटी गांठ से होती है। प्रारम्भ में इसमें दर्द नहीं होता है। ये ब्रैस्ट के अंदर होती है या आस पास में भी हो सकती है।
ब्रैस्ट देखने पर तथा छूने पर बदली हुई सी लगती है। उसका आकार बढ़ जाता है या टेड़ा मेड़ा सा लगता है।
ब्रैस्ट के ऊपर की खाल मोटी हो जाती है, उसमें सूजन आती है, घाव बन जाते हैं या संतरे के छिलके से दिखती है।
निपिल में बदलाव आने लगते हैं। उसमें से कुछ तरल भी निकल सकता है।
ब्रैस्ट या बगल में दर्द बना रह सकता है। बगल में गांठों का बनना भी कैंसर का एक प्रमुख लक्षण है।
ब्रैस्ट कैंसर से कैसे बचें -
हालाँकि ब्रैस्ट कैंसर से पूरी तरह बच पाना संभव नहीं है, लेकिन कुछ परिवर्तन कर हम इसकी संभावनाओं को कम कर सकते हैं।
1 अपने वजन को कंट्रोल में रखना
2 सुस्त जीवन छोड़ कर सक्रिय रहना, हफ्ते में 150 -200 मिनट व्यायाम
3 अल्कोहल का कम सेवन (केवल एक ड्रिंक प्रतिदिन )
4 स्वस्थ रेशे से भरपूर शाकाहारी खाना जिसमें पर्याप्त फल तथा सब्जियां हों, चीनी, रेड मीट, प्रोसेस्ड फ़ूड, पैकेज्ड फूड्स बिलकुल नहीं
5 नोंनहार्मोनल परिवार नियोजन के तरीके का प्रयोग
6 मानसिक तनाव से दूर रहें
7 कम से कम एक साल तक बच्चे को दूध पिलाएं
8 धूम्रपान से दूर रहें
9 श्रृंगार प्रसाधन सामिग्री का सोच समझ कर चुनाव, डीओडरंट एन्टीपरस्पिरैंट का प्रयोग न करें, सनस्क्रीन लोशन पैराबेन्स सहित का प्रयोग न करें,
10 खाना पकाने के लिए मिटटी के बर्तन का प्रयोग करें, प्लास्टिक का प्रयोग न करें, नॉनस्टिक बर्तनों को प्रयोग में न लाएं
11 पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहे
ब्रैस्ट की महिला द्वारा स्वयं जाँच करना
ब्रैस्ट कैंसर की प्रारम्भिक अवस्था में पता लगना बहुत आवश्यक है। जल्दी पता चलने पर इसका पक्का इलाज संभव है। महिलाओं द्वारा छिपाने के कारण जब तक कैंसर का पता चलता है वह लाइलाज हो जाता है। प्रत्येक महिला तथा लड़की को अपने ब्रैस्ट की स्वयं जाँच करने की ट्रेनिंग देना बहुत ही जरुरी है।
ब्रैस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन को हम अब ब्रैस्ट अवेयर Breast Aware कहते हैं। देश की, घर की प्रत्येक महिला सदस्य को इसकी पूरी जानकारी देना हमारा फर्ज है।
दर्द न होने की वजह से महिला द्वारा अपने डॉक्टर तक पहुंचने पर बहुत समय निकल जाता है, जिससे कैंसर बहुत ज्यादा फैल जाता है।
महिला द्वारा स्वयं के स्तनों की जांच बीस वर्ष के बाद प्रारम्भ कर देनी चाहिए। ये जांच महीना शुरू होने के तीन से पांच दिन बाद करनी चाहिए।
चालीस वर्ष की आयु के बाद डॉक्टर द्वारा स्तन की जाँच तथा मेम्मोग्राम हर साल करवाना चाहिए। जिन महिलाओं के घर में किसी को ब्रैस्ट या ओवेरियन कैंसर हो चूका हो उन्हें हर 6 - 12 महीने पर MRI करवाना चाहिए।
ब्रैस्ट कैंसर एक भयावह बीमारी है जो मरीज के साथ पूरे परिवार को प्रभावित करती है। कैंसर की जल्दी पहचान तथा उचित इलाज ही इसका एकमात्र समाधान है।
डॉ पुनीत अग्रवाल MS FISCP
प्रोफेसर मेडिकल कॉलेज
58 /299 बी-1 आदर्श नगर
खेरिया क्रासिंग
आगरा 282001
उत्तर प्रदेश
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मंगलवार, 4 जुलाई 2023
What size of appendix is dangerous ? Appendix kaise hota hai ?appendix ke lakshan, Appendix laser operation
What size of appendix is dangerous - अपेंडिक्स का नार्मल व्यास डाइमेटर 6 मिली मीटर होता है। इससे ज्यादा होने का मतलब है अपेंडिक्स में सूजन आना जिसे अपेनडिसाइटिस appendicitis कहते हैं। यही अपेंडिक्स की बीमारी है। इसे हम अल्ट्रासाउंड से नाप सकते हैं। आकार बढ़ने के साथ अपेंडिक्स के चारों तरफ सूजन आ जाती है तथा पानी & पस भी एकत्रित हो सकता है।
अपेंडिक्स कैसे होता है -अपेंडिक्स क्यों होता है अपेंडिक्क्स की बीच की खोखली जगह जब बंद हो जाती है तो उसके अंदर बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, यही इन्फेक्शन अपेनडिसाइटिस को बना देता है। आँतों के इन्फेक्शन, टीबी , या कैंसर के कारण अपेंडिक्स की नाली बंद हो सकती है। कभी कभी खाने के बीज या कड़ा मल भी अपेंडिक्स की नली को ब्लॉक कर देता है। यही अपेंडिक्स में सूजन आने का प्रमुख कारण होता है।अपेंडिक्स क्या होता है, हिंदी में अपेंडिक्स लगभग दस सेंटीमीटर की केंचुये के आकर की होती है। इन्फेक्शन के समय यह फूल जाती है। ज्यादा फूलने पर ये फट भी सकती है। ये छोटी तथा बड़ी आंत के बीच में मिलती है।
अपेनडिसाइटिस अपेंडिक्स का दर्द पेट में कहाँ होता है अपेंडिक्स के लक्षण अपेंडिक्स होने पर पेट में दर्द होता है। पुरुष तथा स्त्रियों में अपेंडिक्स के समान लक्षण होते हैं। स्त्रियों में दर्द होने पर ये जांचना जरुरी है कि कहीं बच्चे दानी की नली तो नहीं फट गयी है।
अपेंडिक्स का दर्द टुंडी के चारों तरफ से प्रारम्भ होकर पेट के दाहिनी तरफ नीचे जाकर जोरों से होता है। इसके साथ पेट कड़ा हो जाता है। कुछ लोगों को कब्ज या दस्त भी हो सकते हैं। दर्द के साथ जी मिचलाना ,उल्टी आना या बुखार भी आ सकता है। जोर से बोलने पर, छींकने पर, खांसने पर , उछलने पर भी पेट के निचले हिस्से में दाहिनी तरफ दर्द महसूस हो सकता है।
अपेंडिक्स का ऑपरेशन सर्जरी अपेंडिक्स का पक्का इलाज ऑपरेशन से होता है। ऑपरेशन दर्द उठने के 48 घंटे तक कर सकते हैं या फिर 4 -6 हफ्ते बाद करते हैं। अपेंडिक्स फटने पर इमरजेंसी ऑपरेशन करना पड़ता है। सेप्टिक ज्यादा फैलने पर ये ऑपरेशन जानलेवा भी हो सकता है। अपेंडिक्स की सम्भावना होने पर एक कुशल सर्जन को अवश्य दिखाएं।
अपेंडिक्स का मतलब अपेंडिक्स लगभग दस सेंटीमीटर की केंचुये के आकर की होती है। वर्मीफॉर्म लेटिन शब्द से लिया गया है जिसका मतलब वॉर्म कीड़ा की तरह vermiform appendix इसका पूरा नाम है।
अपेंडिक्स का इलाज अपेंडिक्स का दर्द उठने पर पहले एंटीबायोटिक्स देते हैं तथा बाद में उसे ऑपरेशन करके निकाल देते हैं। उल्टी होने पर नस में ग्लूकोस भी देना पड़ता है।
अपेंडिक्स का मानव शरीर में क्या कार्य है ? ये क्या करती है ? ज्यादातर वैज्ञानिक अपेंडिक्स को vestigial organ समझते हैं। उनके अनुसार इसका मानव शरीर में कोई लाभ तथा कार्य नहीं हैं। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार ये शरीर की प्रतिरोधक छमता को बढ़ाती है। इसके अंदर अच्छे वाले बैक्टीरिया भरे रहते हैं जिनको ये धीरे धीरे आंतों में छोड़ती रहती है।
अपेंडिक्स क्या खाने से होता है अपेंडिक्स होने की उम्मीद उन खानों से होती है जिनसे हमारे शरीर में कब्ज बनती है। पानी कम पीने से भी कब्ज हो सकती है। बीज वाले फल तथा सब्जियों से भी अपेंडिक्स हो सकती है। बीज अपेंडिक्स के अंदर जाकर फंस सकता है।
स्त्रियों में अपेंडिक्स - अपेंडिक्स स्त्रियों के बजाय पुरुषों में ज्यादा होती है। ये ज्यादातर दस से तीस आयु के बीच मिलती है।
अपेंडिक्स के इन्फेक्शन को अपेनडिसाईटिस कहते हैं।
अपेंडिक्स की शुरुआत में मरीज की भूख खत्म हो जाती है जिसे हम loss of appetite कहते हैं।
अपेंडिक्स का ऑपरेशन कैसे होता है ?
अपेंडिक्स का ऑपरेशन दो प्रकार से होता है चीरे वाला या दूरबीन से( Laparoscopic Appendectomy)। पहले चीरे वाला ऑपरेशन ही होता था। आजकल इसका ऑपरेशन दूरबीन से मैं कर रहा हूँ। दूरबीन से ऑपरेशन के बहुत ज्यादा फायदे हैं जैसे - चीरे का साइज बहुत छोटा ( बहुत छोटे तीन छेद ), काम पर शीघ्र वापसी, विश्व की सबसे सुरछित तकनीक, सफल तकनीक, अस्पताल से जल्दी छुट्टी। आगरा में हमारी ऑपरेशन टीम सबसे ज्यादा अनुभवी है।
अपेंडिक्स का लेज़र ऑपरेशन
कुछ अस्पतालों द्वारा ये प्रचार किया जाता है कि उनके यहाँ अपेंडिक्स का ऑपरेशन लेज़र द्वारा किया जाता है। आपकी जानकारी के लिए आपको में ये बता देना चाहता हूँ कि लेज़र द्वारा अपेंडिक्स गॉलब्लेडर हर्निया के ऑपरेशन विश्व में कहीं भी संभव ही नहीं हैं। इसलिए किसी की बातों में न आएं । अगर आपको विश्वास न हो तो गूगल पर सर्च करके स्वयं देख लें।
अपेंडिक्स को apendice, apendix, apendis, apprentice, appendices भी प्रचिलित भाषा में कहते हैं। अपेंडिक्स हमारे पेट में मिलती है। इसमें सूजन आने पर पेट में दर्द हो सकता है।
अपेंडिक्स का दर्द पेट में दाहिनी तरफ टुंडी से नीचे होता है। ये दर्द टुंडी से प्रारम्भ हो सकता है।
पेट दर्द का घरेलू इलाज - पेट दर्द होने पर डॉक्टर को अवश्य दिखाएं। ये अपेंडिक्स के कारण हो सकता है।
हमारे यहाँ सबसे कम पैसों में किया जाता है। ऑपरेशन के लिए डॉ पुनीत अग्रवाल से व्हाट्सएप्प पर संपर्क करें 9837144287
क्या अपेंडिक्स जानलेवा सिद्ध हो सकती है
हाँ सही इलाज न कराने पर ये जानलेवा सिद्ध होती है। अगर दवाइयों से ये बैठ भी जाए तो बाद में दुबारा बन जाती है।
क्या अपेंडिक्स बिना ऑपरेशन से सही हो सकती है ?
एंटीबायोटिक्स खाने से अपेंडिक्स का दर्द दब जाता है, लेकिन यह दुबारा उठ जाता है इसलिए इसका ऑपरेशन कराना अच्छा रहता है।
अपेंडिक्स ऑपरेशन के बाद क्या खाना चाहिए ? ऑपरेशन के बाद पर्याप्त पानी पिएं ( लगभग तीन लीटर प्रतिदिन ) आपको कब्ज नहीं होना चाहिए। आपके खाने में रेशा तथा प्रोटीन भरपूर मात्रा में होना चाहिए।
अपेंडिक्स ऑपरेशन के बाद धीरे धीरे व्यायाम प्रारम्भ करें। अपने शरीर को समझें तथा उतना ही व्यायाम करें जितना शरीर सहन कर सके।
Best Appendix Doctor Surgeon डॉ पुनीत अग्रवाल हैं जो दूरबीन तथा चीरे से अपेंडिक्स करने में एक्सपर्ट हैं। Best Appendix Hospital Clinic
क्या अपेंडिक्स वाली महिला प्रेग्नेंट हो सकती है? अपेंडिक्स और गर्भ धारण करने में कोई सम्बन्ध नहीं है।
मेरी अपेंडिक्स के ऑपरेशन की वीडियो यहाँ देखें -
acute appendicitis अपेंडिक्स में इन्फेक्शन होने को कहते हैं। अगर एकदम से दर्द उठा हो तो उसे acute appendicitis कहते हैं।
डॉ पुनीत अग्रवाल MS FISCP
प्रोफेसर ऑफ़ सर्जरी
मेडिकल कॉलेज
आगरा, उत्तर प्रदेश 282001
केवल व्हाट्सप्प SMS 9837144287
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शुक्रवार, 30 जून 2023
After piles surgery exercise - When to start what to start
After piles surgery exercise - When to start what to start
आज पाइल्स एक सामान्य समस्या बन गयी है। पचास वर्ष के पचास प्रतिशत लोग इस बीमारी के चपेट में आते जा रहे हैं। पाइल्स अथवा बवासीर होने का मुख्य कारण है कब्जियत तथा हमारी अव्यस्थित जीवन शैली। अन्य प्रमुख कारण हैं - शौच के समय अतिरिक्त बल लगाना, अधिक समय तक पौटी में बैठे रहना, लम्बे समय तक दस्त लगे रहना, अधिक वजन होना, अधिक वजन उठाना (weight lifting ), कम रेशे वाला खाना, गर्भावस्था, गुदा मैथुन आदि।
प्रारंभिक अवस्था में इसका इलाज बिना ऑपरेशन के संभव है लेकिन बीमारी की अवस्था बढ़ने पर ऑपरेशन या लेज़र या इंजेक्शन आवश्यक हो जाता है।
किसी भी प्रकार के सर्जिकल इलाज के बाद हमें किस प्रकार का व्यायाम करना चाहिए और किस समय व्यायाम प्रारम्भ करना चाहिए आज इसी विषय पर आपसे चर्चा करूँगा।
कीगेल व्यायाम
क्या न करने से पहले में आपको बताऊंगा की आप को कौन से कसरत करनी चाहिए। ऑपरेशन के बाद जब आप चलने फिरने लगें, कमजोरी न महसूस कर रहें तो इसे प्रारम्भ करें।
लेटे लेटे या बैठ कर इसे करें। साँस को अंदर खींच कर रोक लें। अब अपने गुदाद्वार को टाइट करें जैसे आप पेट कि गैस को बाहर निकलने से रोक रहे हो। पाँच सेकंड तक रोकने के बाद ढीला छोड़ दें। अब पुनः इसे टाइट करें। इसे सुबह शाम दस दस बार करें। अपने पेट की या जाघों की मांसपेशियों का बिलकुल भी प्रयोग न करें।
व्यायाम
किसी भी ऑपरेशन के बाद कड़ी मेहनत वाले व्यायाम न करें। ऐसे व्यायाम जिन्हें करने से गुदा मार्ग पर तनाव बढ़ता हो जैसे भारी वजन उठाना, दौड़ लगाना, तेज चलना, उठक बैठक लगाना, घुड़सवारी, दौड़ भाग वाले खेल जैसे फुटबॉल हॉकी आदि प्रारम्भ न करें।
सर्व प्रथम घाव को पूरी तरह से भर जाने दें। इसे भरने में दो से तीन सप्ताह का समय लगता है। अपने शरीर में कमजोरी को महसूस न होने पर ही धीरे धीरे हल्का व्यायाम प्रारम्भ करें। शुरुआत में धीरे धीरे टहलना प्रारम्भ करें। तत्पश्चात सामान्य महसूस होने पर ही टहलने की गति तथा समय बढ़ाते रहें। टहलने से रक्त का प्रवाह बढ़ता है जिससे रक्त गुदा मार्ग पर एकत्रित नहीं होता है तथा खून बहने की समस्या कम हो जाती है।
ऐसे व्यायाम न करें जिन्हें करने पर आप गुदा मार्ग पर तनाव महसूस करते हों।
ऑपरेशन के बाद कमजोरी न लगने पर तथा सामान्य महसूस होने पर गतिविधि बढ़ाते रहें, मेहनत वाले व्यायाम भी अब धीरे धीरे शुरू करें। कोई भी कसरत एकदम से बहुत ज्यादा न करें। जिम में भी धीरे धीरे व्यायाम की गति बढ़ाएं। अपने शरीर की भाषा को पहचानें, सामान्य महसूस होने पर ही आगे बढ़ें। ऐसे योग न करें जिन्हें करने से गुदा मार्ग में तनाव आता हो।
ऑपरेशन /लेज़र/इंजेक्शन के बाद एक ही जगह पर बहुत देर तक न बैठें। बैठने के लिए डोनट तकिये का प्रयोग करें। ये बाजार में उपलब्ध हैं। (न मिलने पर आप मुझसे whatsapp पर लिंक ले सकते हैं।) ऑफिस में हर आधे घंटे बाद खड़े होकर कुछ टहलें।
पूजा के समय शंख न बजाएं।
अपने सर्जन द्वारा बताये गए मलहम का प्रयोग पॉटी जाने से पहले तथा बाद में अवशय करें।
पॉटी के बाद गुनगुने पानी में बैठें Sitz Bath
पॉटी के बाद सूखे टॉयलेट पेपर का प्रयोग बिलकुल भी न करें। गीले टॉयलेट पेपर या टिसू से ही पोंछें।
पॉटी करते समय जोर न लगाएं ।
संक्षेप में अपनी जीवन शैली धीरे धीरे सक्रिय करते रहें।
मुझसे कुछ पूछना चाहें तो में whatsapp 9837144287 पर उपलब्ध हूँ।
डॉ पुनीत अग्रवाल
प्रोफेसर
मेडिकल कॉलेज
आगरा
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शनिवार, 17 जून 2023
डायबिटीज को होने से कैसे रोकें ? क्या आपको डायबिटीज होने जा रही है ?
डायबिटीज को होने से कैसे रोकें ?
क्या आपको डायबिटीज होने जा रही है ? क्या आप अपनी जीवन शैली में परिवर्तन के लिए तैयार हैं ?
भारत वर्ष में डायबिटीज एक महामारी की तरह फैल रही है। घर घर में, गांव और शहरों में करोड़ों लोग धीरे धीरे इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। भारत वर्ष में करीब दस करोड़ लोग डायबिटीज के रोगी हैं। विश्व के लगभग 17 प्रतिशत डायबिटीज के रोगी भारत में हैं। इस कारण भारत को डायबिटीज की राजधानी भी कहा जाता है।
क्या हम अपने आपको डायबिटीज से बचा सकते हैं ? आज इसी विषय पर मैं आपसे चर्चा करूंगा।
विश्व में हर दस सेकंड में कोई न कोई डायबिटीज के कारण मर रहा है। अगर आपका वजन ज्यादा है, अगर ट्राइग्लिसराइड (Lipid Profile) बढ़े हुए हैं, आपके माता पिता को डायबिटीज है या आपकी जीवन शैली सुस्त तथा आलसी है तो किसी भी समय आप को डायबिटीज हो सकती है।
खुशी की बात है कि हम आज अपने आपको डायबिटीज होने से बचा सकते हैं। अगर आपको डायबिटीज हो गयी है तो इसको भलीभांति कन्ट्रोल कर सकते हैं तथा इसके दुष्प्रभावों से खुद को बचा सकते हैं।
इसके लिए हमें क्या करना चाहिए ?
हमें अपनी जीवन शैली में कुछ छोटे छोटे परिवर्तन करने होंगे, सुस्तपन छोड़ कर सक्रिय होना होगा। इसके साथ साथ अपने खान पान में भी कुछ परिवर्तन करने होँगे। ये परिवर्तन निश्चित तौर से संभव हैं। डायबिटीज के संभावित खतरों को देखते हुए हमें खुशी से इन्हें अपनाना चाहिए।
1 मोटापा दूर करें
डायबिटीज का प्रमुख कारण है वजन का अधिक होना। अपने सही वजन के लिए अपनी लम्बाई सेंटीमीटर में नापें, अब इसमें से 100 घटा दें। ये आपका आदर्श वजन किलोग्राम में बताता है। महिलाओं को 110 घटाना चाहिए। अपने वजन को व्यायाम तथा सही खानपान से कम कर सकते हैं।
प्रारम्भ में अपने वजन को दस प्रतिशत तक कम करने का प्रयास करें। तत्पश्चात अपने आदर्श वजन आने तक प्रयास रहें। एक रिसर्च पेपर के अनुसार यदि हम अपने वजन को 7 प्रतिशत तक कम करते हैं तो डायबिटीज होने की सम्भावना 60 प्रतिशत तक कम हो जाती है। जो भी प्रयास करें धीरे धीरे करें, एकदम से किए गए बदलाव हमारे शरीर पर अतिरिक्त तनाव पैदा करते हैं जो डायबिटीज को और बढ़ा सकते हैं। हमें करीब आधा किलो वजन एक सप्ताह में कम करने का प्रयास करना चाहिए। वजन कम होने पर आप स्वयं अपने आपको ज्यादा स्वस्थ एवं तरोताजा महसूस करने लगेगें।
2 नियमित व्यायाम
नियमित व्यायाम के अनेक लाभ हैं। ये न केवल हमारे वजन को कम करता है बल्कि ब्लड शुगर को भी कम करता है। ये शरीर को इन्सुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है ताकि शुगर प्रभावी तरीके से नार्मल रह सके।
हमें प्रतिदिन 30 मिनट (हफ्ते में 150 से 200 मिनट ) एरोबिक व्यायाम करना चाहिए। ये व्यायाम हमारे दिल की धड़कन को बढ़ाते हैं। यदि हम एक साथ 30 मिनट न कर सकें तो दस-दस मिनट तीन बार कर सकते हैं। ये व्यायाम हमारी शुगर को कन्ट्रोल में रखते हैं , हमारे हृदय को स्वस्थ रखते हैं , रक्तचाप काम करते हैं तथा अच्छे HDL कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं। अगर आप अभी तक नियमित व्यायाम नहीं कर रहे हैं तो इसे धीरे धीरे प्रारम्भ करें ।
एरोबिक व्यायाम के प्रमुख उदाहरण हैं - तेज चलना, दौड़ लगाना, तैरना, साइकिल चलाना, रस्सी कूदना आदि।
हफ्ते में दो से तीन बार हम योग या वजन उठाने वाले व्यायाम भी कर सकते हैं।
अगर अपने कार्यालय में हम एक ही स्थान पर बैठे रहते हैं तो हमको हर तीस मिनट बाद उठ कर थोड़ी देर टहलना चाहिए। ये भी ब्लड शुगर कन्ट्रोल के लिए अच्छा रहता है।
3 स्वास्थ्यप्रद शाकाहारी खाद्य पदार्थों का सेवन
शाकाहारी खाना कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन्स तथा खनिजों से भरपूर होता है। कार्बोहाइड्रेट्स हमको ऊर्जा तथा रेशा देते हैं। रेशे हमारी आँतों से बिना पचे बाहर निकल जाता है लेकिन ये हमारी आँतों के लिए लाभकारी होता है। रेशे युक्त खाद्यपदार्थ हमारे वजन को बढ़ने से रोकते हैं और डायबिटीज होने की सम्भावना को भी काम करते हैं।
रेशे युक्त खाने के कुछ उदहारण निम्न हैं -
सभी फल
सब्जियाँ जैसे हरी साग सब्जियां , गोभी, ब्रोकोली
फलियां तथा दालें
साबुत अनाज ब्राउन चावल, स्टील कट ओट्स, ज्वार , बाजरा, रागी, चोकर सहित गेहूं आदि
निम्न पदार्थों का सेवन न करें -
चीनी युक्त खाने , मैदा, रिफाइंड शुगर रिफाइंड फूड्स , प्रोसेस्ड फूड्स, पैकेज्ड फूड्स आदि
4 अच्छी चिकनाई को अपने खाने में जोड़ें
अनसैचुरेटेड फैट्स हमारे कोलेस्ट्रॉल को काम करते हैं तथा हमारे हृदय के लिए अच्छे रहते हैं।
*ओलिव आयल, सनफ्लॉवर आयल, केनोला आयल
*नट्स तथा बीज जैसे बादाम अखरोट मूंगफली फ्लैक्स सीड्स, कद्दू के बीज
*मछली सालमोन टुना
सैचुरेटेड फैट्स हमें डेरी तथा मीट से मिलते हैं। इनका सेवन हमें कम से कम करना चाहिए। चिकनाई निकला हुआ दूध तथा अन्य डेरी पदार्थ तथा चिकन का सेवन हम कर सकते हैं।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए आपकी खाने की प्लेट आधी फलों तथा सब्जियों से भरपूर होनी चाहिए। एक चौथाई साबुत अनाज से तथा एक चौथाई प्रोटीन युक्त खाने से भरपूर होना चाहिए जैसे फलियां दालें मछली या चिकनाई रहित मीट।
अपनी जीवन शैली को उपरोक्त सुझावों से बदलना प्रारम्भ कीजिये। आप डायबिटीज से कोसों दूर रहेंगे। डायबिटीज यदि आपको है तो भी ये परिवर्तन आपको अपनाने चाहिए।
Dr Puneet Agrawal
MS
Professor, Medical College
Agra
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