शीघ्रपतन क्या है इसके क्या कारण होते हैं और उसको कैसे पहचाने
PME Premature Ejaculation, Rapid or Quick Ejaculation
चालीस वर्ष से कम उम्र के पुरुषों में सबसे आम यौन रोग अथवा सैक्स रोग है शीघ्रपतन जिसे हम पीएमई अथवा प्रीमेच्योर इजेकुलेशन के नाम से भी जानते हैं। लगभग हर दूसरा व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी समय इस रोग को अनुभव करता है।
शीघ्रपतन पुरुषों को होने वाली एक सेक्स अथवा यौन समस्या है। इस अवस्था में सेक्स करते समय चरम आनंद पर पहुंचने से पहले ही मरीज का वीर्य स्खलित हो जाता है। इस कारण मरीज में असंतुष्टि, हीन भावना, ग्लानि आ सकती है। विभिन्न नकारात्मक विचार आने के साथ-साथ रोगी के अपने साथी के साथ संबंधों में तनाव भी आ सकता है।
सेक्स समस्याओं के संबंध में फैली भिन्न-भिन्न भ्रान्तियों के चलते मरीज किसी योग योग्य चिकित्सक से मिलने में झिझक महसूस करता है। शर्म के कारण वह अपने संबंधियों तथा मित्रों से भी कोई चर्चा नहीं कर पाता है। बीमारी शनै शनै बढ़ती चली जाती है तथा आगे चलकर इस कारण मानसिक अवसाद अथवा डिप्रेशन तक मरीज को हो सकता है। कभी-कभी मरीज झोलाछाप अथवा अयोग्य वैद्यों के हत्थे चढ़ जाता है। यदि प्रारंभिक अवस्था में ही उचित इलाज करवा लिया जाए तो मरीज इस खतरनाक स्थिति तक नहीं पहुंच पाता है।
शीघ्रपतन के कारण
शीघ्रपतन के मुख्य कारण हम नहीं जानते हैं। अभी भी वैज्ञानिकों द्वारा इस पर रिसर्च चल रही है, लेकिन कुछ ऐसे जोखिम तत्व हैं जिनके होने पर शीघ्रपतन होने की सम्भावनाएं ज्यादा हो जाती है।
एक- हमारे मस्तिष्क में सेरोटोनिन नाम का केमिकल होता है। इसकी असामान्य मात्रा शीघ्रपतन का कारण हो सकती है।
दो- कुछ हारमोंस के असामान्य स्तर पर भी शीघ्रपतन होने का कारण हो सकते हैं- लूटिनाइज़िंग हार्मोन, प्रोलेक्टिन तथा थायराइड हार्मोन।
तीन- जनन तंत्र में सूजन तथा संक्रमण होना, जैसे प्रोस्टेट, मूत्रमार्ग यूरिथ्राइटिस।
चार- वह रोग जो शरीर की नसों को प्रभावित करते हैं।
पांच- गुर्दा तथा मूत्र रोग।
छै- वेरीकोसील
सात- ड्रग्स जैसे एम्फ़ैटेमिन, कोकीन तथा अन्य डोपामिनर्जिक दवाइयां।
देखा जाए तो शीघ्रपतन कोई निश्चित बीमारी नहीं है। यह पुरुष तथा स्त्री के कामोत्तेजना की चरम अवस्था पर पहुंचने के अंतर के कारण महसूस होती है। सेक्स के दौरान घर्षण के समय को लेकर कई रिसर्च हुई है। योनि में लिंग के प्रवेश से लेकर स्खलित होने का समय प्रत्येक पुरुष के लिए भिन्न भिन्न होता है। कुछ पुरुष आधे, एक या दो मिनट तक उत्तेजित अवस्था में रहकर घर्षण कर पाते हैं। दूसरी तरफ कुछ पुरुष पांच, दस या पंद्रह मिनट तक सक्रिय रहते हैं। किसी भी अवस्था में यदि स्त्री तथा पुरुष दोनों चरम आनंद का अनुभव करते हैं या बिना चरम आनंद के भी संतुष्ट हैं तो उपचार की आवश्यकता नहीं है। अगर पुरुष एक मिनट में स्खलित हो जाता है तथा दंपत्ति संतुष्ट है तो किसी इलाज की आवश्यकता नहीं है। इसके विपरीत दस मिनट के बाद स्खलित होने पर भी यदि दंपति संतुष्ट नहीं है तो इसे शीघ्रपतन कहा जाएगा। जैसे मैंने पहले भी लिखा है कि घर्षण का समय केवल आनुपातिक है तथा प्रत्येक दंपत्ति के लिए भिन्न-भिन्न है।
शीघ्रपतन दो प्रकार से प्रारंभ होता है। प्रथम प्रकार में यह मरीज को उस समय अनुभव होता है जब वह पहली बार सेक्स प्रारंभ करता है। द्वितीय प्रकार में एक संतुष्ट एवं सामान्य सेक्स लाइफ व्यतीत कर रहे दंपति में पुरुष इस बीमारी को अनुभव करना प्रारम्भ करता है।
प्रथम प्रकार के पुरुषों में यह मरीज की रुग्ण मानसिक दशा तथा मनोवैज्ञानिक परिस्थितियों के कारण उत्पन्न होती है। अगर रोग ग्रसित व्यक्ति सेक्स को लेकर प्रारंभ से ही उदिग्न रहता है, या सेक्स को लेकर एक अनजान भय उसके अंदर उत्पन्न हो जाता है अथवा उसके शुरुआती सेक्स अनुभव अच्छे नहीं रहते हैं तो भी वह एक हीन भावना से ग्रस्त हो जाता है। यह उसके तन मन को प्रभावित करती है। यह भावनाएं उसके भविष्य में सेक्स संबंध बनाने की प्रक्रिया पर गलत असर डालती हैं। एक बार शीघ्रपतन का अनुभव होने पर वह और ज्यादा उदिग्न हो जाता है, और उसका मन विचलित बना रहता है।
निम्न अनुभव भी मरीज को किसी हद तक प्रभावित करते हैं- सेक्स के समय मरीज की अस्थिर मानसिक स्थिति तथा मनोवैज्ञानिक परेशानियां, उसके अंतर्मन की चिंतायें, पिछले सेक्स के वे अनुभव जिनमें उसे कटु अनुभव हुआ हो, मरीज के अपने परिवारीजनों, मित्रों तथा वरिष्ठ साथियों से संबंधों में तनाव, कार्य के प्रति उसका उदासीन रवैया, सेक्स के प्रति उसके नकारात्मक विचार, मरीज की अपनी महिला मित्र के साथ कटु अनुभव। इन तथ्यों की जानकारी चिकित्सक तथा सेक्सोलॉजिस्ट को उपलब्ध होने पर उपचार करने में आसानी होती है
जिन पुरुषों में शीघ्रपतन की समस्या शुरुआत से नहीं होती है उनमें ये अवस्थायें शीघ्रपतन का कारण हो सकती हैं- नपुंसकता, सेक्स को लेकर मरीज के अंदर उत्पन्न व्यग्रता, सेक्स या किसी अन्य विषय को लेकर मानसिक उलझन, नशे का सेवन- ड्रग्स, शराब आदि।
मरीज को ध्यान पूर्वक यह विचारना होगा कि ऐसी कौन सी नई परिस्थितियां उत्पन्न हुई जिसकी वजह से शीघ्रपतन आरंभ हुआ। इन मरीजों में सभी तत्वों की विस्तृत जानकारी होना आवश्यक है क्योंकि इनमें से कोई भी कारण शीघ्रपतन आरंभ कर सकता है। कुछ मुख्य कारण है मरीज के पिछले तथा नये सेक्स साथी, उनसे मरीज के संबंध कैसे हैं, क्या मरीज की सेक्स क्षमता में परिवर्तन हुआ है, नपुंसकता, क्या सेक्स के समय उसका साथी पूर्ण सहयोग करता है, सेक्स साथी की मरीज के साथ सभी सकारात्मक तथा नकारात्मक प्रतिक्रियायें।
इन मरीजों की मूल्यांकन में निम्न तथ्यों पर ध्यान देना आवश्यक है-
एक- नपुंसकता या इरेक्टाइल डिस्फंक्शन
दो- मरीज द्वारा किसी दवाई का प्रयोग, खासतौर पर मानसिक रोगों के लिए दी जाने वाली दवाइयां। यह दवाइयां शरीर के हर अंग को प्रभावित करती हैं।
तीन- मरीज द्वारा किसी नशे का आदी होना
चार- मरीज की महिला मित्र का बहुत देर में चरम स्थिति पर पहुंचना
शीघ्रपतन का सबसे गहरा असर मनोवैज्ञानिक होता है। जो पुरुष तथा स्त्री दोनों में मानसिक अवसाद या डिप्रेशन का कारण हो सकता है। वे चिड़चिड़े हो सकते हैं। मानसिक तनाव के साथ-साथ यह स्थिति उनकी शारीरिक क्षमता पर भी प्रभाव डालती है।
अगर दंपत्ति गर्भधारण का प्रयास कर रहे हैं और अगर पति सेक्स से पहले ही स्खलित हो जाए तो गर्भधारण करना संभव नहीं हो पाता है। इसके लिए कृत्रिम गर्भाधान ही उनके सामने एक मात्र उपाय यह जाता है।
वैज्ञानिक शीघ्रपतन पर तेजी से रिसर्च कर रहे हैं लेकिन वह किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। एक थ्योरी के अनुसार टेस्टोस्टरॉन की अधिकता से भी शीघ्रपतन संभव है। एक रिसर्च के अनुसार प्रॉस्टेट तथा एपिडिडमिस में संक्रमण के कारण भी यह संभव है।
अब तक की गई रिसर्च में मानसिक कारणों को ही शीघ्र पतन का प्रमुख कारण माना गया है लेकिन इसको भी हम पूरी निश्चिंता के साथ नहीं कह सकते हैं।
हस्तमैथुन का प्रभाव
बचपन तथा युवावस्था में लड़के छुप-छुपकर हस्तमैथुन करते हैं। जहां उनका मकसद जल्दी से जल्दी वीर्य को बाहर निकालने से होता है। ज्यादा समय लगने पर उन्हें डर रहता है कि उन्हें कोई देख ना ले। वे पकड़े न जाए। जब वे किसी साथी से संपर्क में आते हैं या उनका विवाह होता है तो भी सेक्स का उनका वही क्रम ही शरीर चलाता रहता है तथा आए इस बदलाव को पहचान नहीं पाता है। हस्तमैथुन का संभवत इन मरीजों में गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है
यह भी एक निश्चित तथ्य है कि महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा चरम सीमा पर काफी देर बाद पहुंचती हैं। यदि पुरुष तथा महिला के चरम सीमा पर पहुंचने के समय में अंतर होता है तो उन्हें शीघ्रपतन से पीड़ित माना जा सकता है। स्त्री तथा पुरुष दोनों के चरम सीमा तथा स्खलित होने का समय मालूम करना भी इलाज के लिए अति आवश्यक है।
जिन लड़कों तथा पुरुषों में शुरुआत से ही शीघ्रपतन होता है या जिन में पुरुष ने कभी सामान्य सेक्स को अनुभव ना किया हो ऐसे लोगों में गंभीर भावनात्मक तथा मानसिक कारण होते हैं। यह बचपन में हस्तमैथुन के कारण या बचपन /युवावस्था में सेक्स के दर्दनाक अनुभवों के कारण होते हैं। यदि इन सभी कारणों को ध्यान में रखा जाए तो मरीज का उपचार संभव है
जो पुरुष बाद में शीघ्रपतन को अनुभव करते हैं उनमें सेक्स प्रदर्शन की चिंता मुख्य कारण होता है। अपने साथी को संतुष्ट न कर पाने का डर मरीज की चिंता का प्रमुख कारण होता है। सेक्स के समय पुरुष को यह डर लगा रहता है कि उसके लिंग का तनाव पूर्ण समय तक बना रहेगा अथवा नहीं तथा यह सोचकर वह शीघ्रपतन का शिकार हो जाता है। ऐसी हालत में मरीज इस बात की स्वीकारोक्ति नहीं करता है कि उसके लिंग का तनाव कम हो रहा है, वह इस बात पर जोर देता है कि वह अपने साथी द्वारा ज्यादा उत्तेजित हो गया था और शीघ्रपतन का शिकार हुआ।
कभी-कभी नपुंसकता शीघ्रपतन का मुख्य कारण नहीं होती है। कुछ स्त्रियां सेक्स घर्षण से चरम सीमा पर नहीं पहुंच पाती है, उन्हें उत्तेजित होने के लिए सीधे क्लाइटोरिस को उत्तेजित करना आवश्यक होता है। इस बात को वह अपने पुरुष साथी से नहीं कह पाती हैं और बात को घुमा फिरा कर ही कहती रहती है।
शीघ्रपतन के मरीजों में सेक्सोलॉजिस्ट इलाज प्रारंभ करने से पूर्व निम्न जानकारियां मालूम करना चाहता है जो मरीज की सेक्स लाइफ को प्रभावित कर रही होती हैं।
*मरीज के सेक्स साथी के बारे में समस्त जानकारियां- क्या वह मरीज के साथ सेक्स करते समय सहज है? उसको कोई अन्य सेक्स बीमारी तो नहीं है? क्या वह पूर्णतया स्वस्थ है? क्या उसका मानसिक स्तर मरीज के लिए असामान्य है?
*क्या मरीज के अपने साथी से मधुर संबंध है? क्या मरीज या उसका साथी किसी मानसिक रोग, तनाव या अवसाद से ग्रसित है?
*क्या मरीज का कार्य संतुलित है? कार्यस्थल पर कोई तनाव तो नहीं है? क्या मरीज को नौकरी जाने का डर निरंतर तो नहीं बना हुआ है?
*क्या मरीज और उसके साथी की सेक्स इच्छाएं एक सी है? यदि सेक्स के तरीके को लेकर दोनों की राय एक सी नहीं है तो यह भी एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है
*क्या मरीज और उसके साथी की सामाजिक मान्यताएं सेक्स को लेकर एक सी हैं? क्या उसको लेकर वे अपने ऊपर अतिरिक्त बंधन तो नहीं महसूस करते हैं?
*क्या मरीज और उसका साथी किसी अन्य बीमारी से ग्रसित है? क्या वे दोनों नशे का सेवन करते हैं? यदि करते हैं तो नशे की मात्रा क्या है?
*क्या गर्भधारण को लेकर दंपत्ति में कुछ तनाव है यह गर्भधारण करने को लेकर भी हो सकता है या अनचाहा गर्भ ठहर जाए यह सोचकर भी।
अमूमन आम चिकित्सकों को सेक्स बीमारियों का इलाज करने का अनुभव नहीं होता है इसीलिए सेक्सोलॉजिस्ट का अनुभव यहां काम आता है। मेरी सलाह है कि इसी तरह की कोई भी परेशानी होने पर तुरंत सेक्सोलॉजिस्ट से ही संपर्क करें।
शीघ्रपतन पर मेरे आगे के ब्लॉग भी संपूर्ण जानकारी के लिए पढ़ते रहें।
आपके सुझावों तथा सलाहों का मुझे इंतज़ार रहेगा।
डॉ पुनीत अग्रवाल MS
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