रविवार, 12 सितंबर 2021

Constipation कब्ज क्या है कब्ज से बचने के उपाय तथा कब्ज होने पर क्या करें

 कब्ज क्या है कब्ज से बचने के उपाय तथा कब्ज होने पर क्या करें

Constipation 

डॉ पुनीत अग्रवाल 

शौच करना हमारी नियमित दिनचर्या का ही एक भाग है। हमको कितनी बार शौचालय जाना है  यह हर एक इंसान में अलग अलग होता है।  प्रतिदिन दो तीन बार से लेकर दो-तीन दिन में एक बार जाना भी आम बात है।  लेकिन यदि सप्ताह में 3 बार से कम शौच  करने  जाएं तो इसे हम कब्ज कह सकते हैं। 

अपने भारतवर्ष में तो हम सब प्रतिदिन सुबह उठते ही शौच के लिए जाते ही हैं।  प्रतिदिन दो बार शौच जाने वाले लोग यदि किसी दिन एक बार जाएं तो उन्हें कब्ज महसूस होने लगता है। 

कब्ज एक सामान्य लक्षण है यह किसी भी उम्र के स्त्री या पुरुष को हो सकता है, बच्चों में भी कब्ज एक आम बीमारी है। 

कब्ज के लक्षण

कब्ज होने पर हम क्या महसूस करते हैं ? 

सर्वप्रथम तो हमें पेट भरा भरा, भारी सा लगता है।  शरीर में सुस्ती बनी रहती है।  हम वह स्फूर्ती और ताकत महसूस नहीं करते हैं जो शौच  जाने के बाद आती है।  पेट फू ला सा रहता है, गैस भी पास नहीं होती है।  थकावट के साथ-साथ सिर दर्द भी हो सकता है।  मरीज में तेजाब ज्यादा बनने  होने के लक्षण भी और अधिक बढ़ जाते हैं।  पेट में हल्का हल्का दर्द बना रहता है। 

मल त्याग ना होने के कारण वह बड़ी आंतों में पड़ा पड़ा सूखने लगता है तथा कड़ा  हो जाता है।  कड़े मल को बाहर निकालने के लिए शरीर को अधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है।  मरीज बार-बार शौच करने के लिए जाता है, लेकिन मल बाहर नहीं आता है

ज्यादा कडा  मल जब अत्यधिक जोर लगाने पर निकलता है तो गुदा मार्ग को फाड़ देता है।  इसे हम एनल फिशर के नाम से जानते हैं।  जोर लगाने के कारण गुदामार्ग  पर पाइल्स अथवा बवासीर के मस्से भी बन जाते हैं।  यह मस्से जब छिल जाते हैं उसमें से खून आने लगता है।  फिशर या पाइल्स के कारण कब्ज और अधिक बढ़ जाता है।  कब्ज के कारण हमारे मुंह का स्वाद भी सही नहीं रहता नहीं रहता है।  मुंह में छाले भी बन जाते हैं। 

समय रहते कब्ज का इलाज करना बहुत आवश्यक होता है। 

कब्ज होने के मुख्य कारण तथा उन से कैसे बचाव करें

1 कम पानी पीना

कब्ज का मूल कारण है हमारे द्वारा कम पानी को पीना।  हमें एक  दिन में कम से कम तीन लीटर तरल पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए- जैसे पानी सूप, जूस, छाछ, नारियल का पानी आदि। 

सुबह उठते ही हमें चार गिलास गुनगुना पानी घूँट घूँट  कर बिना कुल्ला किए हुए पीना चाहिए।  हमारी आँतों  की गति बढ़ाने के साथ-साथ यह एक बल भी उत्पन्न करता है जो मल को बाहर निकालने में सहायक होता है।  इसके अतिरिक्त हमें दिन भर पानी पीते रहना चाहिए।  खाने से आधे घंटे पहले से एक  घंटे बाद तक पानी नहीं पीना चाहिए।  इससे पेट में उपस्थित पाचक रस का असर कम हो जाता है।  पानी में आप यदि चाहे तो नींबू का रस तथा शहद मिला सकते हैं।  छाछ में काला नमक तथा भुना  जीरा मिलाकर पीने से भी यह कब्ज को दूर करने में सहायक होता है। 

2 जीवन शैली

हमारी जीवन शैली का हमारी आँतों पर सीधा असर पड़ता है।  यदि हम नियमित व्यायाम नहीं करते हैं, ज्यादा चलते फिरते नहीं है तो हमारी आंतें  भी सुस्त हो जाती हैं। 

हमको प्रतिदिन कम से कम तीस  मिनट व्यायाम, योग अथवा तेज तेज टहलना  चाहिए।  इससे हमारी आंतें  भी सक्रिय रहेंगी तथा वहां रक्त भी पर्याप्त मात्रा में पहुंचेगा।  एक बार कब्ज होने पर तो नियमित योगाभ्यास तथा व्यायाम प्रारंभ कर देना चाहिए। 

3 तनाव

मानसिक तनाव हमारे शरीर के प्रत्येक अंग को प्रभावित करता है।  इसके कारण आंतों की गति कम हो जाती है।  बड़ी आंतें भी पानी को अधिक सोख लेती हैं, इससे मल कड़ा हो जाता है।  मानसिक अवसाद में मनुष्य को मल त्याग करने का मन भी नहीं करता है।  जहां तक संभव हो एक नियमित एवं हंसमुख जिंदगी जीने का प्रयास करें। 

4 कम रेशे युक्त भोजन

कब्ज होने का एक महत्वपूर्ण कारण है हमारे खाने में कम रेशे -फाइबर युक्त भोज्य पदार्थों का होना।  रेशा हमारे भोजन के लिए परम आवश्यक है।  

रेशा दो तरह का हमारे भोजन में मिलता है -

1 घुलनशील रेशा 

यह पानी में घुल कर जेल जैसा पदार्थ बना  लेता है। यह जेल आँतों में खाने से मिलकर पूरे गूदे को तेजी से आगे बढ़ाता है

2 अघुलनशील रेशा  

यह रेशा आँतों  में घुलता नहीं है तथा ऐसे ही शरीर से बाहर निकलता है। 

दोनों प्रकार के रेशे आँतों  में खाने के गूदे की मात्रा को बढ़ाते हैं, मल को नरम करते हैं, उसे आंतों में चिपकने से रोकते हैं।  आँतों के चलने के साथ-साथ मल को आगे बढ़ाते जाते हैं। 

5 मल त्याग की आदत, अनियमित दिनचर्या

जिस समय हमें शौच  लग रही हो हमें तुरंत शौचालय जाना चाहिए।  अगर हम उस समय शौचालय नहीं जाते हैं तो मल अंदर ही अंदर सूखने लगता है तथा धीरे-धीरे कब्ज  बनता चला जाता है। 

जिन लोगों का खाना खाने का समय निश्चित नहीं है, जिनकी दिनचर्या नियमित नहीं है, उन लोगों में भी कब्ज  जल्दी बन जाता है। 

समय पर भोजन ना करने से, रात में देर से खाना खाने से अथवा रात में देर तक जागने रहने से भी शरीर में कब्ज  बनता है। 

शौच करते समय अंग्रेजी सीट पर हमें अधिक देर तक नहीं बैठना चाहिए।  ज्यादा जोर भी नहीं लगाना चाहिए।  कमोड पर बैठे-बैठे हमें अखबार, पुस्तक या ज्यादा देर तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए।  ज्यादा जोर लगाने से तथा ज्यादा देर तक बैठने से बवासीर के मस्से बन जाते हैं। 

अपनी दिनचर्या एवं कार्य को नियमित एवं अनुशासित करने का प्रयास करें। 

शौच जाने के लिए भारतीय स्टाइल की टॉयलेट सीट सर्वोत्तम है।  यदि आप मेडिकल कारणों अथवा घुटने की समस्या से ग्रस्त हैं तो अंग्रेजी सीट के नीचे ही एक स्टूल  लगा लें।  यह स्टूल विशेष तरह बनाया जाता है तथा शौच करते समय आवश्यक मांसपेशियों को ढीला कर देता है। 

6  भोज्य पदार्थ

हमारे खाने में यदि मैदे से बनी एवं तले हुए मिर्च मसालेदार खाना ज्यादा है तो इसका पाचन  सही तरह से नहीं हो पाता है। 

 ज्यादा प्रोसैस्ड फूड, डिब्बाबंद खाना अथवा जंक - फास्ट फूड के कारण भी कब्ज बन जाता है

बहुत अधिक तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, चाय, कॉफी भी कब्ज को बढ़ाती है

उपरोक्त प्रकार के खाने तथा व्यसनों से जहां तक संभव हो दूरी बना लें।  खाना बनाते समय ध्यान रखें कि आपके पूर्वज क्या खाते थे।  खाने को उसी तरह से बदलने का प्रयास करें। 

खाना खाने से पूर्व सलाद का सेवन अवश्य करें।  आप सलाद में खीरा, मूली, गाजर, ककड़ी, टमाटर, चुकंदर, सलाद के पत्ते आदि का सेवन कर सकते हैं। 

दिन में एक समय फलों का भी निर्धारण करें। सेब, पपीता, अंजीर, अंगूर, नाशपाती, खुबानी, अनानास, कीवी,  शकरकंदी, सूखा आलूबुखारा आदि अन्य मौसम के अनुरूप फलों का सेवन हमें अवश्य करना चाहिए। 

सब्जियों में पत्ता गोभी, गाजर, पालक आदि हरी सब्जियां, बींस, मटर, लेंटिल्स -दालें में भी रेशे  की मात्रा अच्छी होती है।  ओट्स, फ्लैक्सीड तथा चिआ सीड्स  का सेवन भी हम कर सकते हैं। 

अगर आप अधिक रेशे युक्त खाने का सेवन नहीं कर रहे हैं तो उसे धीरे-धीरे अपने खाने में बढ़ाएं।  एकदम से अधिक रेशा बढ़ाने पर हम को परेशानी हो सकती है।  

7 असंतुलित हारमोंस का होना 

थायराइड हार्मोन की कमी काफी आम होती जा रही है।  विशेष तौर से महिलाएं इसकी शिकार ज्यादा होती है।  थायराइड की कमी के कारण भी आँतों  की गति कम हो जाती है तथा कब्ज बन सकता है। 

यदि आपको डायबिटीज का रोग है तो आपकी शुगर कंट्रोल में रहनी चाहिए।  डायबिटीज में कब्ज होने की संभावना अधिक रहती है। 

एक योग्य चिकित्सक की सलाह पर अपनी खून की जांच करवा लें। 

8 दवाइयों के कारण कब्ज बनना 

कुछ अंग्रेजी दवाइयों के कारण भी कब्ज  बन जाता है- जैसे ब्लड प्रेशर की दवाइयां, खून बढ़ाने की दवाई -आयरन, मानसिक अवसाद में दी जाने वाली दवाइयां आदि। 

अपने चिकित्सक को बता कर दवाइयां बदलने का प्रयास करें। 

आयुर्वेदिक दवाइयां तथा हर्बल मेडिसिंस भी कब्ज  करती हैं।  कब्ज होने पर उन दवाइयों का सेवन भी सोच समझकर ही करें।  सभी आयुर्वेदिक दवाइयां सेफ नहीं होती है। 

कब्ज होने पर क्या करें

आपकी दिनचर्या तथा भोजन के परिवर्तनों को मैंने ऊपर विस्तार से आपको बताया है।  इनका पालन अवश्य करें। 

यहां मैं कुछ घरेलू उपाय भी बता रहा हूं इनका प्रयोग भी कब्ज में विशेष लाभकारी है-

*रात को मुनक्का को दूध में उबाल लें, मुनक्के खाने के पश्चात दूध का सेवन भी कर ले

*रात को सोते समय गर्म दूध में एक दो चम्मच कैस्ट्रोल ऑयल मिलाकर लें

*पके हुए केले को दूध के साथ खाएं, साथ में दिन भर खूब पानी भी पीते रहे

*रात को सोते समय त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन भी कब्ज को दूर करता है

*ईसबगोल की भूसी को रात को सोते समय लें 

अगर आपको इन सब उपाय करने के पश्चात भी आराम नहीं मिल रहा हो तो अपने चिकित्सक से संपर्क करें। 


आप मुझसे कुछ पूछना चाहे तो 9837144287 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं। 

डॉ पुनीत अग्रवाल 

गुदा रोग विशेषज्ञ एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जन


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