मंगलवार, 28 सितंबर 2021

World Heart Day 2021

 World Heart Day 2021



After James Bond Licence to kill is with Cardio vascular Diseases CVD.

Every year 18.6 million lives are taking away by Heart diseases and Stroke. CVD is top killer of human race. CVD is responsible for About half of non-communicable diseases deaths in the world.

An old proverb is 'Diabetes runs in family - Actually no one runs in family'. This is true for CVD also now a days.

As a doctor we are responsible to reduce deaths by controlling risk factors. About 80% of premature deaths by CVD and stroke can be saved by reducing risk factors.

As a doctor we can educate the public to keep themselves away from these risk factors

1 Physical Inactivity

2 Obesity

3 Tobacco, smoking

4 Alcohol

5 High blood pressure

6 Unhealthy diet

7 Uncontrolled Diabetes 

8 Air pollution

9 Stress

10 Increased Cholesterol


Use Heart to connect - This years theme for World Hearts Day by using your knowledge, compassion and influence.




After corona we are aware of importance of our life and lives of our relatives, friends etc..

Be Healthy, keep a healthy heart inside you!


Dr Puneet Agrawal


सोमवार, 20 सितंबर 2021

Diet for Eye Health

Diet for Eye Health

The eyes are the windows through which we see this beautiful world. To keep them healthy we need to take a nutritious diet. The main nutrients for eye health are Vitamin A,  Vitamin C, Vitamin E, lutein, zeaxanthin, Zinc, Copper and Omega 3 fatty acids. The food items which contain the above are 

1.Fish and eggs 
Fishes such as salmon and tuna are good source of Omega 3 fatty acids and Vitamin A. Eggs are rich in lutein and zeaxanthin and also contain Vitamin C, Vitamin E and Zinc.

2. Nuts, legumes and grains
They are also rich in omega 3 fatty acids. Nuts  especially almonds contains high level of Vitamin E. Sprouting the lentils  like green moong and black gram makes them very nutritious and a rich source of  proteins, Vitamin C,  Vitamin A, zinc,  magnesium, selenium and copper.

3.Fruits
 Amla, Guavas and Citrus fruits like lemons, oranges  and grapefruits are a good source of vitamin C which is a strong antioxidant.
Yellow fruits like mango, dried apricot and papaya are rich in Vitamin A.
 Apples have an anti inflammatory and  antioxidant effect. Bananas are a rich source of Vitamin B6, Vitamin C and copper.

4. Seeds
Flax seeds, Chia seeds, Sunflower seeds and melon seeds are a good source of Omega 3 fatty acids and Vitamin E.

5.  Vegetables
They are rich in lutein, zeaxanthin, Vitamin C, Vitamin A and copper .
Carrots are an an excellent source of beta carotene and Vitamin A which is responsible for night vision and tissue health.
Sweet potatoes, tomatoes and all yellow vegetable like pumpkin are also rich in beta carotene.

6.Water
     Adequate hydration is also important for eye health and prevents dryness of the eyes. When stored in a copper vessel it also provides this valuable nutrient.

A rule of thumb to ensure you are getting enough vitamins to keep your eyes healthy and glowing is to load your plate with colorful fruits and vegetables. 

Dr Vani Agrawal MS

रविवार, 19 सितंबर 2021

Laser Piles Treatment, Piles Treatment in Hindi

 Laser Piles Treatment, Piles Treatment in Hindi

I am discussing piles treatment, piles surgery & laser treatment for Piles. Laser surgery for piles is commonly done now a days in my laser piles clinic. Laser treatment for piles cost not more than usual charges of conventional piles operation cost.

Piles treatment without surgery is possible with Laser. Laser treatment for piles is good or bad - In my hands results are wonderful. Piles laser treatment cost in Agra is minimal with us at-  Piles clinic, Piles doctor near me, Piles laser treatment near me,  

Laser treatment for piles is most modern method of treatment.







लेजर द्वारा बवासीर पाइल्स का इलाज हमें क्यों करना चाहिए ?

Why treatment by laser is recommended for most patients of Haemorrhoids?

नवीन वैज्ञानिक शोधों के अनुसार बवासीर वास्तव में कुशंस हैं, जो गुदा मार्ग को कसकर बंद रखते हैं तथा हवा, पाद, पानी, मल आदि को बिना दिमाग के संकेत के बाहर नहीं आने देते हैं।  जब यह कुशंस ढीले पड़ जाते हैं, लटकने लगते हैं, तो इनके अंदर रक्त वाहिकायें  बन जाती हैं।  रगड़ लगने पर इन ऊतकों से खून रिसता है या अत्यधिक सूजन आ जाती है।  पुरानी धारणाओं के विपरीत यह खून धार से धमनियों (artery ) से बहुत तीव्र गति से निकलता है।  सफेद कमोड पर सुर्ख लाल रंग देखकर मरीज को चक्कर भी आने लगते हैं। 

लेजर द्वारा पाइल्स अथवा बवासीर का उपचार आजकल सफलतापूर्वक किया जा रहा है।  पिछले कुछ वर्षों से इसका प्रचलन काफी अधिक हो गया है।  महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके परिणाम बहुत ही उत्साहवर्धक है। 

लेजर द्वारा बवासीर का इलाज आधुनिकतम इलाज है।  भारतवर्ष में है कुछ ही अस्पतालों में इसकी सुविधा अभी उपलब्ध है। 

अब मैं आपसे लेजर सर्जरी के प्रमुख फायदों की चर्चा करूंगा

1 आधुनिकतम इलाज

जैसे मैंने ऊपर लिखा यह पाइल्स के लिए आधुनिकतम इलाज है।  किसी भी प्रामाणिक विधि के बारे में हम प्रकाशित शोधों से अपनी जानकारी लेते हैं।  वैज्ञानिक शोधों के अनुसार लेजर के परिणाम बेहद अच्छे हैं, बहुत लंबे समय तक बने रहते हैं।  

लेजर की मशीन अभी भारतवर्ष में नहीं बन रही है।  मैंने भी अपनी मशीन इजराइल से मंगाई है। 




2 कोई चीरफाड नहीं

'लेजर सर्जरी' शब्द के बावजूद इसमें कोई भी चीर फाड़ नहीं की जाती है।  किसी प्रकार का चीरा नहीं लगाया जाता है।  सिर्फ एक पतला सा लेजर का धागा हमें बवासीर के मस्सों से छुटकारा दिला देता है। 



3 अत्यधिक रक्तस्राव नहीं

क्योंकि किसी प्रकार का चीरा हम नहीं लगा रहे हैं इस कारण किसी भी प्रकार का खून नहीं बहता है।  आम बवासीर की सर्जरी में हमें गुदा मार्ग को बहुत जगह से काटना पड़ता है, इस कारण रक्त स्राव बहुत होता है।  यह रक्त स्रावऑपरेशन के पश्चात भी बहुत दिनों तक होता ही रहता है। 

4 गुदा मार्ग संकुचन नहीं होना ( Less Surgical Complications )

क्योंकि ऑपरेशन के दौरान गुदा मार्ग  को हमें काटना पड़ता है, घाव भरते समय यह सिकुड़ता है, इस कारण कई बार गुदा मार्ग संकुचित हो जाता है Anal Stenosis   ज्यादा संकुचित होने पर उसका भी ऑपरेशन करना पड़ सकता है। 

5 दर्द

क्योंकि हम किसी भी प्रकार की चीर फाड़ नहीं कर रहे हैं इसलिए गुदा मार्ग  में किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता है।  सामान्य ऑपरेशन के बाद कुछ हफ्तों तक मरीज को दर्द बना रहता है तथा उसे दर्द की दवाइयां नियमित रूप से खानी पड़ती है। 

6 लेजर में कम समय लगना

सामान्य ऑपरेशन में लगभग 1 घंटा समय लगता है।  लेजर द्वारा सभी कार्य  आधे घंटे से भी कम समय में किया जा सकता है।  कम समय लगने के कारण मरीज को जल्दी से स्वास्थ्य लाभ होता है।



7 घाव को जल्दी से भरना

सामान्य ऑपरेशन में बवासीर का घाव भरने में हफ्तों लगते हैं।  लेजर में हम चूंकि कोई चीर फाड़ नहीं करते हैं मरीज जल्दी से स्वस्थ हो जाता है। 

8 अन्य उतको पर कोई दुष्प्रभाव नहीं

लेजर का प्रभाव बहुत गहरा नहीं होता है।  यह केवल उसी हिस्से में कार्य करती है जहां इसका उपयोग किया जाता है।  इसके विपरीत सामान्य ऑपरेशन में कई बार अन्य अंगों  को भी नुकसान पहुंच सकता है।  यदि गुदा के चारों तरफ लिपटी मांसपेशियां कट जाती  हैं तो शरीर की  पाद  एवं मल रोकने की क्षमता घट जाती है। 

9 सुनिश्चितता

लेजर सुनिश्चितता  से केवल बवासीर को ठीक करता है, आसपास के ऊतकों  को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है।  यह इसका बहुत ही बड़ा पॉजिटिव प्वाइंट है। 

10 इंफेक्शन का ना होना

चीर फाड़ के ना होने के कारण लेजर में किसी प्रकार के इंफेक्शन, सेप्टिक या मवाद  पड़ने की उम्मीद नहीं होती है।  

सामान्य ऑपरेशन में इन्फेक्शन होना एक आम बात है इस कारण मरीज को बहुत दिनों तक एंटीबायोटिक्स खाने पड़ते हैं। 

11 कार्य पर शीघ्र वापसी

लेजर द्वारा मरीज को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होता है तथा वह बहुत जल्दी अपने कार्य अथवा नौकरी पर वापस जा सकता है।  यह प्लेजर का अत्यधिक  महत्वपूर्ण पॉजिटिव प्वाइंट है। 

12 डॉक्टर की क्लीनिक पर बार-बार नहीं जाना पड़ता

लेसर के मरीज को डॉक्टर के पास बार-बार आने की जरूरत नहीं होती है। 

13 मरीजों द्वारा लेजर को सफलतापूर्वक अपनाना 

उपरोक्त सभी कारणों के कारण मरीजों द्वारा लेजर को सफलतापूर्वक अपनाया जा रहा है। 

आगरा और आगरा के आसपास के मरीजों का मेरे द्वारा लेजर से इलाज किया जा रहा है जो बहुत ही उत्साहवर्धक है। 

कृपया एक प्रॉक्टोलॉजिस्ट या गुदा मार्ग रोग विशेषज्ञ से आज ही परीक्षण करवा कर यह सुनिश्चित करें कि क्या आप का इलाज लेजर से संभव है

यदि हां तो फिर सोचने की जरूरत नहीं है। 

No piles only smiles

अगर आप मुझसे कुछ पूछना चाहे तो मुझे 9837144287 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं। 

आप मुझे ईमेल भी कर सकते हैं मेरा ईमेल एड्रेस है puneet265@gmail.com


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Precautions after Laser treatment 


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डॉ पुनीत अग्रवाल ms 

प्रॉक्टोलॉजिस्ट एवं लैप्रोस्कोपिक सर्जन 


बवासीर के बारे अधिक जानकारी के लिए यह भी पढ़ें -

गुदा रोग: बवासीर- क्या आप वाकई में बवासीर से पीड़ित हैं ?

बवासीर होने के प्रमुख कारण तथा उनसे बचाव, Piles causes and methods to prevent them

बवासीर में क्या न खाएं और क्या ना करें। बवासीर में क्या परहेज करने चाहिए। What not to eat in Piles

Sitz Bath and Ashwini Mudra सिट्ज़ बाथ एवं अश्विनी मुद्रा

Constipation कब्ज क्या है कब्ज से बचने के उपाय तथा कब्ज होने पर क्या करें

Anal Fissure - एनल फिशर, गुदा चीर, गुदाद्वार में घाव All you should know about it

शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

गुदा रोग: बवासीर- क्या आप वाकई में बवासीर से पीड़ित हैं ?

 गुदा रोग: बवासीर- क्या आप वाकई में बवासीर से पीड़ित हैं ?

मैं डॉ पुनीत अग्रवाल हूं।  आगरा में पिछले 30 साल से अधिक से एक प्रॉक्टोलॉजिस्ट अथवा गुदा रोग विशेषज्ञ की तरह अपनी सेवाएं दे रहा हूं।  मेरे पास आने वाले मरीज  मुझसे सबसे पहले इन तीन में से एक सवाल अवश्य करते है -

1 डॉक्टर साहब मुझे बवासीर हो गई है, मैं अब क्या करूं ? या 

2 डॉक्टर साहब मुझे बताएं कि क्या वास्तव में मुझे बवासीर है? या 

3 डॉक्टर साहब हमारे घर में या पड़ोस में या  हमारे जान पहचान वालों को गुदा से खून आया था जो बाद में कैंसर निकला था।  क्या मुझे भी कैंसर की बीमारी हो गई है ?

गुदा रोगों की पहचान एक प्रॉक्टोलॉजिस्ट ही निश्चितता एवं संपूर्णता से कर सकता है। 

गुदा  मार्ग  पर सिर्फ बवासीर नहीं अनेकों बीमारियां होती है-  खूनी/ बादी बवासीर, पाइल्स, एनल फिशर अथवा घाव, क्रैक, भगंदर अथवा नासूर, फिस्टुला, फोड़ा, कांच निकलना, प्रोलैप्स, पोलिप,  खाज, खुजली अन्य खाल के रोग, ऐनल टैग्स, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम तथा कैंसर। 

एक गुदा रोग विशेषज्ञ इन विभिन्न रोगों को सही से पहचान सकता है। 

इन रोगों की पहचान इसलिए भी आवश्यक है कि प्रत्येक रोग का उपचार अलग-अलग है।  बिना मरीज़ का परीक्षण करें बिना भी इस बीमारी को पहचानना संभव नहीं है। 

सबसे खतरनाक इसमें कैंसर है।  यदि बिना परीक्षण के बवासीर समझकर आप का इलाज चलता रहे तो कैंसर शरीर में फैलता चला जाता है तथा लाइलाज हो जाता है। 

गुदारोंगों  के मरीजों को चिकित्सक तक पहुंचने में मुख्य रोड़ा है मरीज की झिझक।  इस बारे में वो  किसी भी संबंधी, साथी से बात करने में शर्म महसूस करता है।  

यदि आपको गुदा मार्ग पर कोई परेशानी हो तो आज ही झिझक छोड़कर एक प्रॉक्टोलॉजिस्ट से तुरंत मिले। 

इसके आगे के लेखों में मैं आपको गुदा  रोगों के संबंध में कुछ और अहम जानकारी साझा करूंगा। 

यदि आप मुझसे कुछ पूछना चाहे तो 983714 4287 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं या मुझे ईमेल भी आप कर सकते हैं puneet265@gmail.com   

सादर नमस्कार

डॉ पुनीत अग्रवाल ms 

प्रॉक्टोलॉजिस्ट एवं सर्जन 

मेरे कुछ अन्य लेख यहाँ देखें -


बवासीर होने के प्रमुख कारण तथा उनसे बचाव, Piles causes and methods to prevent them

बवासीर में क्या न खाएं और क्या ना करें। बवासीर में क्या परहेज करने चाहिए। What not to eat in Piles



बुधवार, 15 सितंबर 2021

Sitz Bath and Ashwini Mudra सिट्ज़ बाथ एवं अश्विनी मुद्रा

 सिट्ज़ बाथ एवं अश्विनी मुद्रा

डॉ पुनीत अग्रवाल एमएस



 सिट्ज़ बाथ 

 सिट्ज़ बाथ में  मरीज गुनगुने पानी से  भरे टब  में बैठकर सिकाई करता है।  यह गुदा मार्ग की सभी बीमारियों में विशेष लाभप्रद रहता है।  गुदा मार्ग के तनाव को कम करने के साथ-साथ यह इस जगह की अच्छी तरह से सफाई भी करता है। 
 सिट्ज़ शब्द एक जर्मन शब्द sitzen  से बना है जिसका अर्थ होता है बैठना तो to sit . 

 सिट्ज़ बाथ  के प्रमुख फायदे

गुदा मार्ग तथा आसपास के हिस्से में दर्द कम करता है। 
खुजली तथा जलन में आराम पहुंचता है। 
एकत्रित मवाद, गंदा पानी,  आंव और मल आदि अच्छी तरह से साफ हो जाता है। 
खून का प्रवाह बढ़ने के कारण सभी घाव जल्दी भरते हैं। 
गुदा मार्ग की सभी मांसपेशियों में तनाव भी कम करता है। 

हमें सिट्ज़ बाथ कब करना चाहिए

बवासीर

बवासीर की सभी अवस्थाओं में  सिट्ज़ बाथ  से बहुत आराम मिलता है।  मस्सों की सूजन कम करने के साथ-साथ मस्सों की जलन भी यह कम  करता है।  उनके आकार को भी कम करता है।  अगर खून आ रहा हो तो भी यह लाभप्रद रहता है। 
बवासीर के ऑपरेशन के बाद हमें नियमित  सिट्ज़ बाथ बात लेना चाहिए।  गुदा मार्ग के हिस्से को साफ करने के साथ-साथ यह दर्द, जलन तथा सफाई में सहायक है।  तत्पश्चात हम चिकित्सक द्वारा बताए गए मल्हम को लगा सकते हैं। 

एनल फिशर 

एनल फिशर के कारण गुदा मार्ग की  सभी मांसपेशियां तनाव में रहता  है, जिससे दर्द भी बढ़ता है तथा घाव जल्दी से भरता भी नहीं है। 
 सिट्ज़ बाथ मांसपेशियों को ढीला करता है, तनाव कम करता है, दर्द, जलन एवं खुजली को घटाता है।  खून का प्रवाह इस हिस्से में बढ़ने लगता है, जिससे घाव जल्दी भरता है। 
अगर फिशर का ऑपरेशन हुआ है तो  सिट्ज़ बाथ लेने से बहुत आराम मिलता है।  प्रत्येक चिकित्सक  सिट्ज़ बाथ को  करने की सलाह अपने मरीजों को देते हैं। 

भगंदर

भगंदर के कारण गुदा मार्ग  के आसपस बहुत सूजन आ जाती है जो दर्द को बढ़ाती है। 
 सिट्ज़ बाथ  सूजन को कम करता है, मवाद की अच्छी तरह सफाई करता है तथा दर्द को भी कम करता है।  भगंदर के ऑपरेशन के बाद तो  सिट्ज़ बाथ करना बहुत आवश्यक होता है। 

अन्य अवस्थाएं

गुदा मार्ग  के अतिरिक्त जननांगों की बीमारियों में भी  सिट्ज़ बाथ लेना अच्छा रहता है।  अपने चिकित्सक की सलाह के अनुरूप इसे लेना लाभप्रद है। 

 सिट्ज़ बाथ करने का तरीका

 सिट्ज़ बाथ करने के लिए हमारे पास एक प्लास्टिक टब या नाद होनी चाहिए . उसका आकार इतना होना चाहिए कि हमारे कूल्हे उसमें ठीक प्रकार से समा सकें।  उसका आकार बहुत छोटा या बड़ा नहीं होना चाहिए।  टब की गहराई भी अधिक नहीं होनी चाहिए, वरना उस में बैठने एवं उठने में कठिनाई होगी। 
टब को  अंदर तथा बाहर से रगड़ कर साफ़ कर लेना चाहिए।  तत्पश्चात उसमें गुनगुना पानी लगभग 4 इंच तक भर लेना चाहिए।  हम गीज़र  से पानी ले सकते हैं।  पानी के तापमान का विशेष ध्यान रखें।  तापमान इतना अधिक नहीं होना चाहिए कि हम उसको सहन ना कर सकें।  अगर पानी अधिक गर्म हो तो उसमें थोड़ा सामान्य तापमान का पानी मिला लेना चाहिए। 
अगर हमारे  चिकित्सक ने किसी दवा मिलाने को बता रखा है तो उसे इस पानी में मिला दें।  ज्यादातर चिकित्सक सेवलॉन,डिटोल अथवा बीटाडीन से सिकाई करवाना पसंद करते हैं।  दवाई मिलाने से पहले यह देख ले कि आपको उस दवाई से एलर्जी तो नहीं है।  बहुत लोगों को बीटाडीन आदि से एलर्जी होती है

टब कहां रखें
बहुत लोग सोचते हैं कि टब जमीन पर ही रखा होना चाहिए।  ज्यादा उम्र के लोग, मोटे लोग या  जिन्हें घुटनों में परेशानी होती है वह यह सोचकर घबरा जाते  हैं कि जमीन पर कैसे बैठे।  एक बार बैठ कर उठना तो और भी दुष्कर हो जाता है। 
इससे बचने के लिए टब को जमीन पर ना रखकर एक कम ऊंचाई के स्टूल पर रखें।  स्टूल हिलना नहीं चाहिए।  इसमें बैठने तथा सिकाई के बाद उठने  में परेशानी नहीं होगी।  इस स्टूल के सामने पैर रखने के लिए एक अन्य स्टूल अथवा पटला रखें। 

बैठने से पहले पानी का तापमान जांच लें।  तत्पश्चात कूल्हों की तरफ से धीरे से टब में बैठ जाएं।  आपके दोनों पैर बाहर रहने चाहिए।  पैरों को कूल्हों से इस प्रकार मोड़ें  की गुदा मार्ग पानी में अच्छी तरह डूबा रहे। 
अगर बैठे-बैठे पानी का तापमान कम हो रहा हो तो उसमें धीरे-धीरे गर्म पानी भी मिला सकते हैं। 
सिकाई के बाद धीरे से सहारा लेकर खड़े हो जाएं।  मुलायम कपड़े से बदन को सोख लें। 
अगर आपके  चिकित्सक ने मल्हम  बताया हुआ है तो आप उसको गुदा मार्ग पर लगा ले।  अपने चिकित्सक से यह जरूर पूछ लें कि  मलहम बाहर लगाना है, अंदर लगाना है या दोनों जगह लगाना है। 
 सिट्ज़ बाथ के पश्चात टब को अच्छी तरह से धोकर तथा साफ करके रख दें। 

अश्विनी मुद्रा
अश्विनी मुद्रा को भी हम पानी में बैठे बैठे कर सकते हें। यह गुदा मार्ग के रोगों के लिए राम बाण है। इस क्रिया केलिए पानी में बैठे बैठे गुदा को संकुचित करें तथा ढीला छोड़ दें। ऐसा पांच से दस बार तक कर सकते हैं। 

हम को कितनी बार सिट्ज़ बाथ लेना चाहिए

ज्यादातर चिकित्सक प्रतिदिन सुबह-शाम सिकाई करने की सलाह देते हैं।  परेशानी अधिक होने पर उसे दिन में 3 बार भी कर सकते हैं।  अगर परेशानी अधिक नहीं है तो सुबह नहाते समय  सिट्ज़ बाथ लेना उचित रहता है। 

अपने चिकित्सक से कब संपर्क करें

अगर आपको लगता है कि आपकी परेशानी कम नहीं हो रही है तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क कर उनकी सलाह लेना न भूलें। 
यदि आपको तेज बुखार आ रहा हो, घाव  से पानी, मवाद अधिक रिस रहा हो, घाव अधिक लाल हो गया है या दर्द बढ  रहा हो, तो भी चिकित्सक से सलाह लेना उचित रहता है। 
यदि आप कोई नई समस्या को अनुभव कर रहे हो तो भी चिकित्सक से अपना परीक्षण तुरंत करवा लें
यदि आप कुछ पूछना चाहे तो मुझे 9837144287 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं

डॉ पुनीत अग्रवाल एमएस
सर्जन एवं गुदा रोग विशेषज्ञ प्रॉक्टोलॉजिस्ट

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