सोमवार, 25 जुलाई 2022

गॉलब्लैडर के ऑपरेशन के पश्चात मरीज का खानपान

गॉलब्लैडर के ऑपरेशन के पश्चात मरीज का खानपान 

Diet after Gallbladder Operation, Laparoscopic Cholecystectomy, Lap Chole



गॉलब्लैडर का ऑपरेशन आजकल सबसे ज्यादा किए जाने वाले ऑपरेशनों में से एक है।  अनियमित जीवनशैली, भागदौड़ से भरी जिंदगी, तनाव, समुचित व्यायाम का अभाव, खानपान की दोषपूर्ण आदतें  इसके प्रमुख कारण हैं। 

मुख्यता  गॉलब्लैडर में कोलेस्ट्रॉल स्टोन  ही बनती हैं। 

पित्त की थैली में लीवर से बनने वाला पित्त  एकत्रित होता रहता है।  जब वसा युक्त खाना (चिकनाई, घी, तेल, मक्खन) पेट से  छोटी आंत में  पहुंचता है तो कोलीसिस्टोकाइनिन  नाम का हार्मोन निकलता है, जो रक्त द्वारा गॉलब्लैडर तक पहुंचकर इसका संकुचन करता है।  संकुचन के पश्चात पित्त  छोटी आत में पहुंचता है तथा चिकनाई को पचाने में सहायता करता है। 

गोल ब्लैडर के ऑपरेशन में स्टोन के साथ-साथ पित्त की थैली भी पूरी निकाल दी जाती है। 

ऑपरेशन के पश्चात पित्त एकत्रित नहीं हो पाता है तथा धीरे-धीरे छोटी आंत  में पहुंचता रहता है।  ऑपरेशन के तुरंत बाद शरीर को खाना पचाने में कुछ परेशानियां आती हैं  लेकिन शीघ्र ही शरीर इस बदलाव को अपनाता जाता है। 

ज्यादातर रोगी इस बात को उत्सुकता से जानना चाहते हैं कि ऑपरेशन के पश्चात उन्हें अपने खानपान में किस प्रकार के परिवर्तन करने होंगे। वह क्या खा सकते हैं तथा परहेज क्या करने पड़ेंगे। 

ऑपरेशन के तुरंत  पश्चात डॉक्टर के अनुसार हम तरल पेय पदार्थ मरीज को देना प्रारंभ कर सकते हैं जैसे पानी, नारियल का पानी आदि।  यदि यह पदार्थ पच  जाए तो हम सूप, जूस आदि भी दे सकते हैं।  प्रारंभ में इनकी मात्रा कम रखकर हम धीरे-धीरे इसे बढ़ा सकते हैं। इन पेय  पदार्थों में चीनी या मिर्च मसालों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए। 

अगर पेय पदार्थ पच जाए तो हम धीरे-धीरे ठोस एवं नरम आहार प्रारंभ कर सकते हैं।  प्रारंभ में खाने की मात्रा थोड़ी होनी चाहिए।  हम थोड़ी थोड़ी मात्रा में कई बार मरीज को खाने को दे सकते हैं।  घर पर पहुंच कर भी हमें मरीज को पेय  एवं नरम  पदार्थ थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कई बार देने चाहिए। 

शुरुआत में हमारे खाने  में रेशे  की मात्रा कम होनी चाहिए।  इसे हम धीरे-धीरे करके बढ़ा सकते हैं।  शुरुआत से ही ज्यादा रेशा युक्त  खाना देने से शरीर इसे सही प्रकार से पचा नहीं सकता है।  एकदम से ज्यादा रेशा  देने से मरीज का पेट फूल सकता है, उसे गैस महसूस हो सकती है, सिर दर्द तथा  पेट में दर्द भी हो सकता है। 

ऑपरेशन के पश्चात खाने में वसा एवं चिकनाई युक्त खानों की मात्रा कम से कम होनी चाहिए।  चिकनाई को हम धीरे-धीरे समय के साथ बढ़ा सकते हैं।  ज्यादा चिकनाई  युक्त भोजन करने से मरीज पतले दस्तों की शिकायत कर सकता है। 

अधिक चिकनाई युक्त खानों में मुख्यतः निम्न प्रकार के खाने आते हैं-

*तले भुने हुए खाद्य पदार्थ जैसे - समोसे, कचौड़ी, पूरी, पराठे, नमकीन, चाट, पेटीज आदि

*डिब्बाबंद रेडीमेड खाद्य पदार्थ

*बेकरी उत्पादन एवं प्रोसैस्ड फूड

*डेसर्ट्स - जैसे केक्स, कुकीज, पेस्ट्रीज आदि

 *फास्ट फूड - पिज्जा, चीज, दोसा, छोले भटूरे, पाव भाजी, आलू मटर की चाट आदि

  *डिब्बाबंद मास के भोज्य  पदार्थ

*मटन आदि नॉनवेज भोज्य  पदार्थों में भी चिकनाई  की मात्रा ज्यादा रहती है। 

*डेयरी उत्पादनों  में भी  चिकनाई  बहुत होती है अतः पूरा दूध लेने की जगह मलाई निकाल कर स्किम मिल्क  लेना चाहिए

*इसके अतिरिक्त मक्खन, चीज़, क्रीम, आइसक्रीम आदि का भी परहेज करना चाहिए

*हमें अधिक मिर्च मसाले युक्त खाने से बचना चाहिए

*जहां तक हो सके चीनी का सेवन भी कम से कम करें

*हमें कैफीन युक्त पदार्थ जैसे चाय, कॉफी, चॉकलेट, एनर्जी ड्रिंक से भी बचना चाहिए। 

*कार्बोनेटेड ड्रिंक्स जैसे कोल्ड ड्रिंक्स का परहेज भी बहुत जरूरी है। 

*अल्कोहल, बियर, वाइन आदि के सेवन से भी परहेज करना चाहिए। 


अब मैं आपको उन भोज्य पदार्थों के बारे में बताऊंगा जो ऑपरेशन के पश्चात रोगी को दे सकते हैं -

१ कम वसा युक्त भोज्य पदार्थ

२ नॉनवेज में चिकन तथा फिश जिसको कम से कम ही तेल/घी  में पकाया गया हो। 

३ लेग्यूम्स- मटर, मूंगफली, सोयाबीन, राज़मा, काले सेम, चिक पी, सभी प्रकार की दालें  आदि 

४ ज्यादा रेशा  युक्त भोजन जैसे- साबुत अनाज, गेहूं चोकर सहित, ब्राउन राइस, ओट्स,  ज्वार आदि

५ मौसम के अनुसार उपलब्ध सलाद, ताजी सब्जियां एवं फल

६ नट्स  जैसे बादाम अखरोट आदि लेकिन कम मात्रा में

७ चिकनाई  निकाल कर बनाए गए डेरी  पदार्थ जैसे दूध 

८ अंडे का सफ़ेद भाग, प्रत्येक दिन एक 

ऑपरेशन के पश्चात जैसे जैसे संभव हो सके हमें चलना फिरना प्रारंभ कर देना चाहिए।  हमारे चलने से हमारी आंतें  भी अच्छी तरह चलती फिरती रहती है। 

पानी तथा अन्य तरल पेय पदार्थों की मात्रा भी हमें धीरे धीरे बढ़ा देना चाहिए।  हमें 24 घंटे में कम से कम 3 से 4 लीटर तरल पदार्थ लेने ही चाहिए। 

हर एक शरीर की अपनी अलग बनावट होती है।  कुछ चीजें किसी एक व्यक्ति को सूट करती है तथा किसी को नहीं करती है।  अपनी अथवा  मरीज को  जो भोज्य पदार्थ अनुकूल रहे वही लेने चाहिए। 

अगर आप मुझसे ऑपरेशन अथवा ऑपरेशन के बाद  डाइट के संबंध में कुछ पूछना चाहे तो मुझे व्हाट्सएप कर सकते हैं मेरा व्हाट्सएप नंबर है 37144287

डॉ पुनीत अग्रवाल लेप्रोस्कोपिक एवं लेज़र सर्जन

 www.drpuneetagrawal.com


Diet after gallbladder removal long-term, 

Foods to avoid after gallbladder removal

Indian foods to avoid after gallbladder operation

Post gallbladder surgery diet

Can I eat after gallbladder removal









शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2021

Future of Surgery in Post Covid times

 The world has seen two outbreaks of covid-19 disease in the last two years. The disease was worldwide and involved each and every part of India also. During the pandemic lots of people were affected by the disease and many unfortunate people died also.

Corona  posed tremendous pressure on health network which includes surgery also. Surgeons had to perform emergency surgery on covid patients and many surgical teams were infected during treatment of patients.

Elective surgery was not taken up during the pandemic time and that created burden on the health care system afterwards.

Covid-19 is a serious disease. Many patients were admitted in the wards and many patients were put in the ICU and on ventilator. Later on it was found to be an inflammatory disease with coagulation disorder and anti coagulants & steroids were the first line of management besides general care of patients.

Now in future, after the pandemic patients who are attending the surgery OPD have to be investigated keeping these points in mind-

Patient might be having sequelae of covid infection which may include fibrosis of lungs and cardiovascular diseases in the forms of  cardiomyopathies and coagulation disorders. They may also be having neurological symptoms and sleep disorders.

We have to investigate the patient keeping in mind their covid history. All patients being taken up for surgery should have a x-ray chest, complete metabolic checkup, ECG, prothrombin time and d-dimer. This should be done for all surgical patients. Other inflammatory markers and echo can be done if needed. RT PCR is also mandatory.

We have to take proper history of covid infection, history of complications and history of vaccination for all patients.

We have to undertake every surgery with full precautions and proper sanitization. 

The outcome of surgery may differ from non covid times because patients may be having some hidden factors of covid-19 infection. We have to communicate with the patient for this. They should be aware that the post surgical period may pose some unforeseen complications. 

Still in India 20,000 new patients are detected everyday and about 200 deaths are due to covid. 

We all know about the third wave but no one knows whether it will come or not. We need to be prepared.

Dr Puneet Agrawal

 

मंगलवार, 28 सितंबर 2021

World Heart Day 2021

 World Heart Day 2021



After James Bond Licence to kill is with Cardio vascular Diseases CVD.

Every year 18.6 million lives are taking away by Heart diseases and Stroke. CVD is top killer of human race. CVD is responsible for About half of non-communicable diseases deaths in the world.

An old proverb is 'Diabetes runs in family - Actually no one runs in family'. This is true for CVD also now a days.

As a doctor we are responsible to reduce deaths by controlling risk factors. About 80% of premature deaths by CVD and stroke can be saved by reducing risk factors.

As a doctor we can educate the public to keep themselves away from these risk factors

1 Physical Inactivity

2 Obesity

3 Tobacco, smoking

4 Alcohol

5 High blood pressure

6 Unhealthy diet

7 Uncontrolled Diabetes 

8 Air pollution

9 Stress

10 Increased Cholesterol


Use Heart to connect - This years theme for World Hearts Day by using your knowledge, compassion and influence.




After corona we are aware of importance of our life and lives of our relatives, friends etc..

Be Healthy, keep a healthy heart inside you!


Dr Puneet Agrawal


सोमवार, 20 सितंबर 2021

Diet for Eye Health

Diet for Eye Health

The eyes are the windows through which we see this beautiful world. To keep them healthy we need to take a nutritious diet. The main nutrients for eye health are Vitamin A,  Vitamin C, Vitamin E, lutein, zeaxanthin, Zinc, Copper and Omega 3 fatty acids. The food items which contain the above are 

1.Fish and eggs 
Fishes such as salmon and tuna are good source of Omega 3 fatty acids and Vitamin A. Eggs are rich in lutein and zeaxanthin and also contain Vitamin C, Vitamin E and Zinc.

2. Nuts, legumes and grains
They are also rich in omega 3 fatty acids. Nuts  especially almonds contains high level of Vitamin E. Sprouting the lentils  like green moong and black gram makes them very nutritious and a rich source of  proteins, Vitamin C,  Vitamin A, zinc,  magnesium, selenium and copper.

3.Fruits
 Amla, Guavas and Citrus fruits like lemons, oranges  and grapefruits are a good source of vitamin C which is a strong antioxidant.
Yellow fruits like mango, dried apricot and papaya are rich in Vitamin A.
 Apples have an anti inflammatory and  antioxidant effect. Bananas are a rich source of Vitamin B6, Vitamin C and copper.

4. Seeds
Flax seeds, Chia seeds, Sunflower seeds and melon seeds are a good source of Omega 3 fatty acids and Vitamin E.

5.  Vegetables
They are rich in lutein, zeaxanthin, Vitamin C, Vitamin A and copper .
Carrots are an an excellent source of beta carotene and Vitamin A which is responsible for night vision and tissue health.
Sweet potatoes, tomatoes and all yellow vegetable like pumpkin are also rich in beta carotene.

6.Water
     Adequate hydration is also important for eye health and prevents dryness of the eyes. When stored in a copper vessel it also provides this valuable nutrient.

A rule of thumb to ensure you are getting enough vitamins to keep your eyes healthy and glowing is to load your plate with colorful fruits and vegetables. 

Dr Vani Agrawal MS

रविवार, 19 सितंबर 2021

Laser Piles Treatment, Piles Treatment in Hindi

 Laser Piles Treatment, Piles Treatment in Hindi

I am discussing piles treatment, piles surgery & laser treatment for Piles. Laser surgery for piles is commonly done now a days in my laser piles clinic. Laser treatment for piles cost not more than usual charges of conventional piles operation cost.

Piles treatment without surgery is possible with Laser. Laser treatment for piles is good or bad - In my hands results are wonderful. Piles laser treatment cost in Agra is minimal with us at-  Piles clinic, Piles doctor near me, Piles laser treatment near me,  

Laser treatment for piles is most modern method of treatment.







लेजर द्वारा बवासीर पाइल्स का इलाज हमें क्यों करना चाहिए ?

Why treatment by laser is recommended for most patients of Haemorrhoids?

नवीन वैज्ञानिक शोधों के अनुसार बवासीर वास्तव में कुशंस हैं, जो गुदा मार्ग को कसकर बंद रखते हैं तथा हवा, पाद, पानी, मल आदि को बिना दिमाग के संकेत के बाहर नहीं आने देते हैं।  जब यह कुशंस ढीले पड़ जाते हैं, लटकने लगते हैं, तो इनके अंदर रक्त वाहिकायें  बन जाती हैं।  रगड़ लगने पर इन ऊतकों से खून रिसता है या अत्यधिक सूजन आ जाती है।  पुरानी धारणाओं के विपरीत यह खून धार से धमनियों (artery ) से बहुत तीव्र गति से निकलता है।  सफेद कमोड पर सुर्ख लाल रंग देखकर मरीज को चक्कर भी आने लगते हैं। 

लेजर द्वारा पाइल्स अथवा बवासीर का उपचार आजकल सफलतापूर्वक किया जा रहा है।  पिछले कुछ वर्षों से इसका प्रचलन काफी अधिक हो गया है।  महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके परिणाम बहुत ही उत्साहवर्धक है। 

लेजर द्वारा बवासीर का इलाज आधुनिकतम इलाज है।  भारतवर्ष में है कुछ ही अस्पतालों में इसकी सुविधा अभी उपलब्ध है। 

अब मैं आपसे लेजर सर्जरी के प्रमुख फायदों की चर्चा करूंगा

1 आधुनिकतम इलाज

जैसे मैंने ऊपर लिखा यह पाइल्स के लिए आधुनिकतम इलाज है।  किसी भी प्रामाणिक विधि के बारे में हम प्रकाशित शोधों से अपनी जानकारी लेते हैं।  वैज्ञानिक शोधों के अनुसार लेजर के परिणाम बेहद अच्छे हैं, बहुत लंबे समय तक बने रहते हैं।  

लेजर की मशीन अभी भारतवर्ष में नहीं बन रही है।  मैंने भी अपनी मशीन इजराइल से मंगाई है। 




2 कोई चीरफाड नहीं

'लेजर सर्जरी' शब्द के बावजूद इसमें कोई भी चीर फाड़ नहीं की जाती है।  किसी प्रकार का चीरा नहीं लगाया जाता है।  सिर्फ एक पतला सा लेजर का धागा हमें बवासीर के मस्सों से छुटकारा दिला देता है। 



3 अत्यधिक रक्तस्राव नहीं

क्योंकि किसी प्रकार का चीरा हम नहीं लगा रहे हैं इस कारण किसी भी प्रकार का खून नहीं बहता है।  आम बवासीर की सर्जरी में हमें गुदा मार्ग को बहुत जगह से काटना पड़ता है, इस कारण रक्त स्राव बहुत होता है।  यह रक्त स्रावऑपरेशन के पश्चात भी बहुत दिनों तक होता ही रहता है। 

4 गुदा मार्ग संकुचन नहीं होना ( Less Surgical Complications )

क्योंकि ऑपरेशन के दौरान गुदा मार्ग  को हमें काटना पड़ता है, घाव भरते समय यह सिकुड़ता है, इस कारण कई बार गुदा मार्ग संकुचित हो जाता है Anal Stenosis   ज्यादा संकुचित होने पर उसका भी ऑपरेशन करना पड़ सकता है। 

5 दर्द

क्योंकि हम किसी भी प्रकार की चीर फाड़ नहीं कर रहे हैं इसलिए गुदा मार्ग  में किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता है।  सामान्य ऑपरेशन के बाद कुछ हफ्तों तक मरीज को दर्द बना रहता है तथा उसे दर्द की दवाइयां नियमित रूप से खानी पड़ती है। 

6 लेजर में कम समय लगना

सामान्य ऑपरेशन में लगभग 1 घंटा समय लगता है।  लेजर द्वारा सभी कार्य  आधे घंटे से भी कम समय में किया जा सकता है।  कम समय लगने के कारण मरीज को जल्दी से स्वास्थ्य लाभ होता है।



7 घाव को जल्दी से भरना

सामान्य ऑपरेशन में बवासीर का घाव भरने में हफ्तों लगते हैं।  लेजर में हम चूंकि कोई चीर फाड़ नहीं करते हैं मरीज जल्दी से स्वस्थ हो जाता है। 

8 अन्य उतको पर कोई दुष्प्रभाव नहीं

लेजर का प्रभाव बहुत गहरा नहीं होता है।  यह केवल उसी हिस्से में कार्य करती है जहां इसका उपयोग किया जाता है।  इसके विपरीत सामान्य ऑपरेशन में कई बार अन्य अंगों  को भी नुकसान पहुंच सकता है।  यदि गुदा के चारों तरफ लिपटी मांसपेशियां कट जाती  हैं तो शरीर की  पाद  एवं मल रोकने की क्षमता घट जाती है। 

9 सुनिश्चितता

लेजर सुनिश्चितता  से केवल बवासीर को ठीक करता है, आसपास के ऊतकों  को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है।  यह इसका बहुत ही बड़ा पॉजिटिव प्वाइंट है। 

10 इंफेक्शन का ना होना

चीर फाड़ के ना होने के कारण लेजर में किसी प्रकार के इंफेक्शन, सेप्टिक या मवाद  पड़ने की उम्मीद नहीं होती है।  

सामान्य ऑपरेशन में इन्फेक्शन होना एक आम बात है इस कारण मरीज को बहुत दिनों तक एंटीबायोटिक्स खाने पड़ते हैं। 

11 कार्य पर शीघ्र वापसी

लेजर द्वारा मरीज को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होता है तथा वह बहुत जल्दी अपने कार्य अथवा नौकरी पर वापस जा सकता है।  यह प्लेजर का अत्यधिक  महत्वपूर्ण पॉजिटिव प्वाइंट है। 

12 डॉक्टर की क्लीनिक पर बार-बार नहीं जाना पड़ता

लेसर के मरीज को डॉक्टर के पास बार-बार आने की जरूरत नहीं होती है। 

13 मरीजों द्वारा लेजर को सफलतापूर्वक अपनाना 

उपरोक्त सभी कारणों के कारण मरीजों द्वारा लेजर को सफलतापूर्वक अपनाया जा रहा है। 

आगरा और आगरा के आसपास के मरीजों का मेरे द्वारा लेजर से इलाज किया जा रहा है जो बहुत ही उत्साहवर्धक है। 

कृपया एक प्रॉक्टोलॉजिस्ट या गुदा मार्ग रोग विशेषज्ञ से आज ही परीक्षण करवा कर यह सुनिश्चित करें कि क्या आप का इलाज लेजर से संभव है

यदि हां तो फिर सोचने की जरूरत नहीं है। 

No piles only smiles

अगर आप मुझसे कुछ पूछना चाहे तो मुझे 9837144287 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं। 

आप मुझे ईमेल भी कर सकते हैं मेरा ईमेल एड्रेस है puneet265@gmail.com


Laser operation cost at my clinic at agra




Precautions after Laser treatment 


Piles Images



डॉ पुनीत अग्रवाल ms 

प्रॉक्टोलॉजिस्ट एवं लैप्रोस्कोपिक सर्जन 


बवासीर के बारे अधिक जानकारी के लिए यह भी पढ़ें -

गुदा रोग: बवासीर- क्या आप वाकई में बवासीर से पीड़ित हैं ?

बवासीर होने के प्रमुख कारण तथा उनसे बचाव, Piles causes and methods to prevent them

बवासीर में क्या न खाएं और क्या ना करें। बवासीर में क्या परहेज करने चाहिए। What not to eat in Piles

Sitz Bath and Ashwini Mudra सिट्ज़ बाथ एवं अश्विनी मुद्रा

Constipation कब्ज क्या है कब्ज से बचने के उपाय तथा कब्ज होने पर क्या करें

Anal Fissure - एनल फिशर, गुदा चीर, गुदाद्वार में घाव All you should know about it

शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

गुदा रोग: बवासीर- क्या आप वाकई में बवासीर से पीड़ित हैं ?

 गुदा रोग: बवासीर- क्या आप वाकई में बवासीर से पीड़ित हैं ?

मैं डॉ पुनीत अग्रवाल हूं।  आगरा में पिछले 30 साल से अधिक से एक प्रॉक्टोलॉजिस्ट अथवा गुदा रोग विशेषज्ञ की तरह अपनी सेवाएं दे रहा हूं।  मेरे पास आने वाले मरीज  मुझसे सबसे पहले इन तीन में से एक सवाल अवश्य करते है -

1 डॉक्टर साहब मुझे बवासीर हो गई है, मैं अब क्या करूं ? या 

2 डॉक्टर साहब मुझे बताएं कि क्या वास्तव में मुझे बवासीर है? या 

3 डॉक्टर साहब हमारे घर में या पड़ोस में या  हमारे जान पहचान वालों को गुदा से खून आया था जो बाद में कैंसर निकला था।  क्या मुझे भी कैंसर की बीमारी हो गई है ?

गुदा रोगों की पहचान एक प्रॉक्टोलॉजिस्ट ही निश्चितता एवं संपूर्णता से कर सकता है। 

गुदा  मार्ग  पर सिर्फ बवासीर नहीं अनेकों बीमारियां होती है-  खूनी/ बादी बवासीर, पाइल्स, एनल फिशर अथवा घाव, क्रैक, भगंदर अथवा नासूर, फिस्टुला, फोड़ा, कांच निकलना, प्रोलैप्स, पोलिप,  खाज, खुजली अन्य खाल के रोग, ऐनल टैग्स, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम तथा कैंसर। 

एक गुदा रोग विशेषज्ञ इन विभिन्न रोगों को सही से पहचान सकता है। 

इन रोगों की पहचान इसलिए भी आवश्यक है कि प्रत्येक रोग का उपचार अलग-अलग है।  बिना मरीज़ का परीक्षण करें बिना भी इस बीमारी को पहचानना संभव नहीं है। 

सबसे खतरनाक इसमें कैंसर है।  यदि बिना परीक्षण के बवासीर समझकर आप का इलाज चलता रहे तो कैंसर शरीर में फैलता चला जाता है तथा लाइलाज हो जाता है। 

गुदारोंगों  के मरीजों को चिकित्सक तक पहुंचने में मुख्य रोड़ा है मरीज की झिझक।  इस बारे में वो  किसी भी संबंधी, साथी से बात करने में शर्म महसूस करता है।  

यदि आपको गुदा मार्ग पर कोई परेशानी हो तो आज ही झिझक छोड़कर एक प्रॉक्टोलॉजिस्ट से तुरंत मिले। 

इसके आगे के लेखों में मैं आपको गुदा  रोगों के संबंध में कुछ और अहम जानकारी साझा करूंगा। 

यदि आप मुझसे कुछ पूछना चाहे तो 983714 4287 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं या मुझे ईमेल भी आप कर सकते हैं puneet265@gmail.com   

सादर नमस्कार

डॉ पुनीत अग्रवाल ms 

प्रॉक्टोलॉजिस्ट एवं सर्जन 

मेरे कुछ अन्य लेख यहाँ देखें -


बवासीर होने के प्रमुख कारण तथा उनसे बचाव, Piles causes and methods to prevent them

बवासीर में क्या न खाएं और क्या ना करें। बवासीर में क्या परहेज करने चाहिए। What not to eat in Piles



Can I drink alcohol after my gall bladder is removed?

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